गुजरात के अहमदाबाद में आयोजित एक बुक फेयर में विवादास्पद प्रवचनकर्ता आसाराम बापू पर आधारित किताबों वाले स्टॉल पर विवाद हो गया है। इस बुक फेयर का आयोजन अहमदाबाद म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन की तरफ से किया गया है। लोगों ने नगर निगम के फैसले पर सवाल उठाया है कि कैसे नाबालिग के रेप के मामले में उम्रकैद की सजा पा चुके एक शख्स पर आधारित किताबों के स्टॉल को लगाने की इजाजत दे दी गई।
बता दें कि इस बुक फेयर का उद्घाटन सीएम विजय रुपाणी ने 24नवंबर को किया था। इसमें एक स्टॉल है, जिसका नाम संत श्री आसारामजी सत्यसाहित्य मंदिर है। यहां धर्म, अध्यात्म, मानव मूल्यों और महिला उत्थान जैसे मुद्दों पर आसाराम के विचारों पर आधारित किताबें हैं।
साहित्य के क्षेत्र से जुड़े मशहूर शख्सियत संजय भावे ने कहा, जैसे ही मैंने आसाराम का स्टॉल देखा, मैं बुक फेयर से निकल गया। अहमदाबाद नगर निगम को पता होना चाहिए कि आसाराम एक नाबालिग के बलात्कार का दोषी है और उसे मृत्यु तक आजीवन कारावास की सजा मिली है। उन्होंने आसाराम को पहले भी स्टॉल दिया है और उस वक्त उनकी दलील थी कि आसाराम का मामला फिलहाल विचाराधीन है। लेकिन नगर निगम से अब इस बात की अपेक्षा नहीं थी।
इस बारे में नगर निगम के डिप्टी म्यूनिसिपल कमिश्नर मुकेश गढ़वी ने कहा, बुक फेयर के लिए स्टॉल की बुकिंग ऑनलाइन की गई है। और यह बुकिंग प्रकाशक के नाम से की गई है। इसलिए हम जानने की स्थिति में नहीं हैं कि बुकिंग कौन कर रहा है?
बता दें कि इसी साल अप्रैल माह में आसाराम बापू को नाबालिग से बलात्कार के मामले में दोषी ठहराया गया था। जोधपुर की अदालत ने आसाराम को 1 लाख रुपए जुर्माने के साथ ही उम्रकैद की सजा सुनायी थी। बलात्कार के इस मामले में अदालत ने बाकी दो दोषियों को भी 20-20 साल की सजा सुनायी थी। साल 2013 में शाहजहांपुर की रहने वाली 16 साल की लड़की ने आसाराम पर उसके जोधपुर आश्रम में रेप का आरोप लगाया था। प्रारंभिक जांच के बाद पुलिस ने आसाराम बापू को गिरफ्तार कर लिया था। आसाराम बापू पिछले 5 साल से ज्यादा वक्त से जेल में बंद है।
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