समय न्यूज़ 24 डेस्क
नई दिल्ली : बिना रज़ामंदी के किसी स्त्री के शरीर को छूना, अपराध है. फिर छटपटाती स्त्री के कपड़े में हाथ डाल देना. बिना सहमति के बाँहों में जकड़ना. उसके अंगों को मज़े-मज़े ले लेकर मसलना. उसे जाँघों तले दबाना. उसकी चोटियों को ही उसे क़ाबू में करने का औज़ार बना देना. ज़बरदस्ती मुँह से मुँह सटाना. गालों को नोचना. गाल और गर्दन पर हाथ फेरना. सहलाना यह सब किस श्रेणी में आयेगा? अपराध होगा या नहीं?
होली के मौक़े पर दिल्ली में जापान की युवती के साथ बदसलूकी का एक मामला सामने आया. इससे जुड़ा एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. अब वो लड़की भारत से वापस चली गई हैं लेकिन दिल्ली पुलिस की ओर से इस मामले में कार्रवाई की बात सामने आई है.
होली के बाद से सोशल मीडिया पर कुछ ऐसे वीडियो दिख रहे हैं. उनमें ऐसी ही तस्वीरें दिख रही हैं. कहने को यह सब होली के नाम पर हो रहा है. मगर यह होली किसी के लिए यंत्रणा बन जाए और हम कहें कि बुरा न मानो या इसमें बुरा मानने की क्या बात है? यह क्या बात हुई?
ऐसा नहीं है कि होली में यह सब पहली बार हो रहा है. या पहली बार किसी स्त्री या लड़की के साथ ऐसा हो रहा है. या सिर्फ़ होली में ही ऐसा होता है. बाकी दिन तो स्त्रियाँ बहुत बेख़ौफ़ घूमती हैं! मर्द उन पर नज़र भी नहीं डालते! न ही उनके कपड़े के आर-पार देखने की कोशिश करते हैं!
लेकिन बात होली पर ही क्यों हो रही है? ख़ूबसूरत रंगीन होली हमारे समाज में हर तरह की छूट लेने वाले त्योहार का नाम है. लेकिन इस छूट का नज़रिया पूरी तरह मर्दवादी है. दबंग मर्दाना.
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