सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को अयोध्या विवाद पर सुनवाई हुई. कोर्ट ने शुरुआत में ही कहा कि वह इस मामले को आस्था नहीं बल्कि जमीन विवाद की तरह देखेगा. सबसे पहले तीन सदस्यीय बेंच में दस्तावेजों पर चर्चा हुई. इस दौरान अन्य दस्तावेजों के साथ गीता और रामायण की किताबें भी दस्तावेजों के रूप में पेश की गईं. इस दौरान कोर्ट ने सुनवाई के दौरान गीता और रामायण का अंग्रेजी अनुवाद मांगा. पूरे दस्तावेज उपलब्ध नहीं होने के कारण सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों को इनको तैयार करने का दो हफ्ते का वक्त दिया. मामले की अगली सुनवाई 14मार्च को होगी.चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय बेंच में पहले दस्तावेजों के बारे में चर्चा हुई. बेंच ने कहा कि पहले मुख्य पक्षकारों को ही सुना जाएगा. वहीं, चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि इस मामले को सिर्फ भूमि विवाद की तरह ही देखा जाए. याचिकाकर्ता ने कहा कि यह 100करोड़ हिंदुओं की भावनाओं का मामला है.इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि ये भावनात्मक मुद्दा नहीं बल्कि भूमि विवाद है. मामले की सुनवाई से पहले सभी पक्षों ने कोर्ट में दस्तावेज सौंप दिए थे. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि राजनीतिक और भावनात्मक दलीलें नहीं सुनी जाएंगी. यूपी सरकार ने कहा है कि हमने 504दस्तावेज जमा किए हैं.
उधर, मामले की सुनवाई से पहले बाबरी मस्जिद के पैरोकार इकबाल अंसारी ने कहा है कि अब सुलह की कोई संभावना नहीं है. इस मामले में जल्द सुनवाई हो, क्येांकि अब राजनीति हो रही है.
अयोध्या श्री रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सतेंद्र दास का कहना है कि अयोध्या मसले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में निरंतर होती रहे, जिससे जल्दी से जल्द विवाद का निपटारा हो सके. अयोध्या मसले का हल होने से आपसी विवाद खत्म होगा और देश का विकास होगा. वहीं, महंत कमलनयन दास ने कहा कि मंदिर अयोध्या में ही बनेगा.
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