भारत में मुंह के कैंसर के मामले सबसे अधिक देखने को मिलते हैं। यह कैंसर पुरुषों को ज्यादा होता है। मुंह के कैंसर की पहचान सामान्य जांच से हो जाती है, पर दुखद है कि मौजूदा मुख कैंसर रोगियों में से 65 से 70 फीसद मरीज अंतिम चरणों में हैं। इसके भी कई कारण हैं। दुनियाभर में हर साल करीब दो लाख मौतें मुख कैंसर की वजह से होती हैं। अकेले भारत में यह संख्या 45 से 50 हजार प्रतिवर्ष है। निम्न आय वर्ग में इसके मामले अधिक देखने को मिलते हैं। इतना ही नहीं, 10 से कम उम्र के बच्चों में भी इसके मामले सामने आए हैं।
लक्षण
दवा लेने के बावजूद मुंह में अल्सर का ठीक ना होना।मुंह में लाल व सफेद चकत्ते दिखना।लगातार कान में दर्द रहना।निगलने में परेशानी होना।दांत ढीले होना या डेंचर की खराब फिटिंग होना।आवाज बदलना।निचले होठ या ठोड़ी में सुन्नता का एहसास होना,गर्दन में गांठ बनना
रोग किस स्टेज पर है, इसके अनुसार रेडियोथेरेपी और कीमोथेरेपी की मदद ली जाती है। इस उपचार के दौरान मरीज का चेहरा थोड़ा- सा बिगड़ता है और उसे बोलने व निगलने में समस्या आती है। पर इससे उबरा जा सकता है। आधुनिक प्लास्टिक एंड रिकंस्ट्रक्टिव सजर्री, एनिस्थीसिया और इंनटेसिव केयर से चेहरे को वापस ठीक कर सकते हैं। नई तकनीक लिक्विड बायोप्सी भी चलन में है।
ध्यान देंने योग्यबातें
बायोप्सी के कारण कैंसर नहीं फैलता। बायोप्सी की प्रक्रिया के दौरान उस खास हिस्से की सूजन ज्यादा बढ़ जाती है, पर वह कुछ समय के लिए ही होता है। टय़ूमर के प्रकार को जानने, उपचार व सजर्री के लिए यह प्रक्रिया जरूरी है।शुरुआती स्तर पर मुख कैंसर की पहचान होने और इसके उपचार की सफलता दर 85 प्रतिशत है। तंबाकू और एल्कोहल का सेवन बंद कर देने से ही तुरंत कैंसर का जोखिम जीरो नहीं हो जाता। धूम्रपान करने वाले किसी व्यक्ति को वापस सामान्य स्थिति में आने में समय लग जाता है।कम टार या कम निकोटिन वाली सिगरेट भी सुरक्षित नहीं हैं। इसी तरह हर्बल सिगरेट में भी भले ही तंबाकू नहीं होता, पर उनसे भी कार्बन मोनोऑक्साइड और टार मिलता है।एक घंटा हुक्का पीना करीब सौ सिगरेट पीने के समान है।
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