नींद ना आना एक गंभीर समस्या है, पर बहुत हद तक इसका इलाज हमारे हाथों में ही है। स्लीपिंग डिसॉर्डर से पीड़ित लोगों में ब्रेन स्ट्रोक, हार्ट अटैक, वजन बढ़ना, शुगर, उच्च रक्तचाप जैसे रोगों का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए अगर हम अपनी दिनचर्या में कुछ बदलाव करें तो समस्या पर काबू पाया जा सकता है।
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सोने से पहले ठंडे पानी से मुंह, हाथ और पैर धोकर ही बिस्तर पर सोने जाएं।
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रोजाना एक निश्चित समय पर ही सोने जाएं। छुट्टी के दिन भी इसी समय का पालन करें।
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हमेशा साफ-सुथरे और करीने से लगे बिस्तर पर ही लेटें, इससे भी अच्छी नींद आने में मदद मिलती है।
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सोने से पहले किसी भी प्रकार के कैफीनयुक्त पेय का सेवन ना करें। गर्म दूध पीकर सोने की आदत डालें।
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सोने के कमरे में रोशनी बहुत तेज नहीं होनी चाहिए। चाहें तो एक नाइट लैंप जला लें।
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सोने से कम से कम एक घंटा पहले टीवी और कम्प्यूटर बंद कर दें। मोबाइल का इस्तेमाल भी ना करें।
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जिस कमरे में आप सोते हों, वहां का तापमान अत्यधिक गर्म या ठंडा नहीं होना चाहिए।
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रात का भोजन सोने से कम से कम दो घंटे पहले जरूर कर लें, ताकि वह आसानी से पच जाए।
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यदि व्यायाम करने का शौक है तो रात में भारी कसरत करने से बचें। सोने से पहले हल्का संगीत सुनें।
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कोशिश करें कि दिन में आप ना सोयें। ऐसा करने से रात को जल्दी नींद आ जाएगी।
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बिना किसी शारीरिक श्रम के भी नींद नहीं आती, क्योंकि हमारे शरीर को थकान होने पर ही आराम करने की आदत होती है। इसलिए पूरे दिन बैठ कर काम करने की बजाय थोड़ा चलते-फिरते भी रहें।
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कमरे का तापमान 30 डिग्री के आसपास रखें। बहुत अधिक ठंड या गर्माहट होने पर भी नींद नहीं आती।
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