राजनीतिक दलों को 1976 के बाद मिले विदेशी चंदे की अब जांच नहीं हो सकेगी। इस संबंध में कानून में संशोधन को लोकसभा ने बिना किसी चर्चा के पारित कर दिया। लोकसभा ने बुधवार को विपक्षी दलों के विरोध के बीच वित्त विधेयक-2018 में 21 संशोधनों को मंजूरी दे दी। उनमें से एक संशोधन विदेशी चंदा नियमन कानून, 2010 से संबंधित था। यह कानून विदेशी कंपनियों को राजनीतिक दलों को चंदा देने से रोकता है। जन प्रतिनिधित्व कानून, जिसमें चुनाव के बारे में नियम बनाये गये हैं, राजनीतिक दलोंको विदेशी चंदा लेने पर रोक लगाता है।
भाजपा सरकार नेपहले वित्त विधेयक2016 के जरियेविदेशी चंदा नियमन कानून (एफसीआरए) में संशोधन कियाथा जिससे दलों के लिये विदेशी चंदा लेना आसानकर दिया गया। अब1976 सेही राजनीतिक दलों को मिले चंदे की जांच की संभावना को समाप्त करने के लिये इसमेंआगे और संशोधन कर दिया गया है। वित्त विधेयक2018 में बुधवार कोकिये गये संशोधनों को लोकसभा वेबसाइट पर सूचीबद्ध किया गया है, लोकसभा ने बुधवार को विनियोग विधेयक के साथ 2018-19 के वार्षिक बजट को पारित कर दिया। विनियोग विधेयक के पारित होने के बाद सरकारी विभागों को भारत की संचित निधि से खर्च करने की अनुमति मिलती है जबकि वित्त विधेयक के पारित होने के बाद कर प्रस्ताव अमल में आते हैं। बजट को सदन में बिना किसी चर्चा के पारितकिया गया । हालांकि संसद के मौजूदा बजट सत्र में तीन सप्ताह का समयथा लेकिन पंजाब नेशनल बैंक धोखाधड़ी तथा विपक्षी दलों के अन्य मुद्दों को लेकरहंगामे के चलते पहले दो सप्ताह बिना कामकाज के निकल गये।वर्ष 2000 के बाद यह तीसरा मौका है जब संसद ने बिना चर्चा के बजट पारित किया है।
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