कोरोना वायरस महामारी के दौरान स्वास्थ्यकर्मियों पर हो रहे हमलों को लेकर सरकार चिंतित है और इसे लेकर आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक हुई। बैठक में स्वास्थ्यकर्मियों पर हो रहे हमलों को लेकर गहरी चिंता जताई गई और नया अध्यादेश लाया गया है।
केंद्र सरकार ने स्वास्थ्यकर्मियों के खिलाफ हिंसा को समाप्त करने के लिए सख्त सजा का प्रावधान किया है। सरकार इसे लेकर अध्यादेश लाई है। अध्यादेश में हिंसा के दोषी के लिए छह महीने से सात साल तक की सजा का प्रावधान किया गया है। बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि इस महामारी से देश को बचाने की कोशिश कर रहे स्वास्थ्यकर्मी दुर्भाग्य से हमलों का सामना कर रहे हैं। उनके खिलाफ हिंसा या इस तरह की कोई घटना बर्दाश्त नहीं की जाएगी। एक अध्यादेश लाया गया है, इसे राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद लागू किया जाएगा।
ऐसा अपराध गैर-जमानती होगा
जावड़ेकर ने कहा कि महामारी रोग अधिनियम, 1897 में संशोधन कर अध्यादेश लागू किया जाएगा। ऐसा अपराध अब संज्ञेय और गैर-जमानती होगा। 30 दिनों के अंदर जांच की जाएगी। आरोपी को तीन महीने से पांच साल तक की सजा हो सकती है और दो लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
पांच लाख तक का जुर्माना
उन्होंने कहा कि गंभीर चोटों के मामले में आरोपी को छह महीने से सात साल तक की सजा हो सकती है। साथ में दोषी पर एक लाख रुपये से लेकर पांच लाख रुपये तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि यदि स्वास्थ्यकर्मियों के वाहनों या क्लीनिकों को नुकसान पहुंचता है तो क्षतिग्रस्त संपत्ति का दोगुना मुआवजा दोषियों से लिया जाएगा।
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