केंद्रीय जांच ब्यूरो(सीबीआई) के प्रमुख आलोक वर्मा को पद से हटा दिया गया है। उन पर भ्रष्टाचार के आरोपों में कार्रवाई की गई है। उनका तबादला कर दिया गया है। उन्हें फायर सेफ्टी विभाग का डीजी बनाया गया है। वे 24 घंटे पहले ही सीबीआई में काम पर लौटे थे। उनकी गैरमौजूदगी में एम नागेश्वर राव सीबीआई की जिम्मेदारी संभालेंगे। इसके साथ ही आलोक वर्मा के खिलाफ सीवीसी की जांच भी जारी रहेगी। जस्टिस सीकरी ने सीवीसी की रिपोर्ट पर संतुष्टि जताई।
सीवीसी की रिपोर्ट में वर्मा के खिलाफ आठ आरोप लगाए गए थे। यह रिपोर्ट उच्चाधिकार प्राप्त समिति के समक्ष रखी गई। समिति में लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई के प्रतिनिधि के रूप में उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति एके सीकरी भी शामिल थे।
अधिकारियों ने बताया कि 1979 बैच के एजीएमयूटी कैडर के आईपीएस अधिकारी वर्मा को भ्रष्टाचार और कर्तव्य निर्वहन में लापरवाही के आरोप में पद से हटाया गया। इसके साथ ही एजेंसी के इतिहास में इस तरह की कार्रवाई का सामना करने वाले वह सीबीआई के पहले प्रमुख बन गए हैं।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस नेता मलिकार्जुन खड़गे और जस्टिस एके सीकरी की सदस्यता वाली उच्चाधिकार प्राप्त सलेक्शन कमिटी में यह फैसला लिया गया। यह बैठक पीएम मोदी के आवास पर करीब ढाई घंटे तक चली।
सूत्रों ने बताया कि आलोक वर्मा को हटाने का फैसला 2-1 से लिया गया। पीएम मोदी और जस्टिस सीकरी ने उन्हें हटाने पर मुहर लगाई जबकि खड़गे ने आलोक वर्मा को हटाने का कड़ा विरोध किया। वे फैसले में देरी भी चाहते थे लेकिन पीएम मोदी और जस्टिस सीकरी ने कदम उठाने का निर्णय लिया।
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