सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्य बेंच ने 2:1 के बहुमत से दंड के तौर पर फांसी की सजा को वैध माना है। जस्टिस कुरियन जोसेफ ने जहां फांसी की सजा पर पुनर्विचार की बात कही। वहीं, जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस हेमंत गुप्ता इसे बरकरार रखने के पक्ष में थे। हालांकि, इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ में तीन लोगों की हत्या के दोषी छन्नू वर्मा की फांसी की सजा को उम्रकैद में तब्दील कर दिया।
दरअसल, अक्टूबर 2011 में छन्नू वर्मा ने तीन लोगों की चाकू से गोदकर इसलिए हत्या कर दी थी, क्योंकि उन्होंने उसके खिलाफ पहले से दर्ज रेप के एक मामले में गवाही दी थी। इस हत्याकांड में 9 साल के चश्मदीद बच्चे की गवाही पर छन्नू वर्मा को निचली अदालत से फांसी की सजा हुई थी, जिसे छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने भी बरकरार रखा था। इसके खिलाफ उसने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर की थी।
आपको बता दें कि 19 अक्टूबर 2011 को शाम 5 बजे गांव की ही 32 साल की रत्ना बाई, उसके ससुर 56 वर्षीय आनंदराम साहू व सास 55 वर्षीया फिरंतिन बाई की चाकू से वार कर हत्या कर दी थी। जबकि पूर्व जिला पंचायत सदस्य मीरा बंछोर, उसके पति छन्नूलाल बंछोर व गेंदलाल वर्मा पर जानलेवा हमला कर घायल कर दिया था।इस मामले में मृतका रत्ना बाई के 9 साल के बेटे रोशन उर्फ सोनू की गवाही महत्वपूर्ण थी। रोशन ने अपनी मां, दादी की हत्या होते देखी थी। पूर्व जिला पंचायत सदस्य मीरा बंछोर के घर जाकर उसे बताया था कि मां और दादी को छन्नू वर्मा ने मार डाला है।
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