केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने आर्थिक मामलों को देख रही संसदीय स्थायी समिति को पेश किए एक रिपोर्ट में माना है कि नोटबंदी से किसान बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि नोटबंदी के चलते देश के लाखों किसान उस वक्त सर्दियों के फसल के लिए बीज और खाद वगैरह नहीं खरीद पाए थे, जिसकी वजह से उन्हें काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था।
मंगलवार को कृषि मंत्रालय, श्रम एवं रोजगार मंत्रालय और कुटीर, लघु और मध्यम उद्योग मंत्रालय ने कांग्रेस सांसद वीरप्पा मोहली की अध्यक्षता वाली संसद की स्थायी समिति को नोटबंदी पर अपनी रिपोर्ट पेश की।खबर के मुताबिक, कृषि मंत्रालय ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि सरकार ने जब नोटबंदी लागू किया था, तब किसान या तो अपनी खरीफ की फसल बेच रहे थे या रबी की फसल बो रहे थे। इन दोनों कामों के लिए उन्हें अच्छी-खासी रकम की जरूरत थी, लेकिन नोटबंदी के बाद बाजार से नोट ही गायब हो गए। इस रिपोर्ट में लिखा गया है, 'भारत के 26 करोड़ से ज्यादा किसान कैश इकोनॉमी पर ही निर्भर रहते है। नोटबंदी के दौरान लाखों किसान अपनी अगली फसल बोने के लिए बीज और खाद नहीं खरीद पाए। बड़े जमींदारों तक को परेशानी हुई और वो अपने किसानों न भुगतान कर पाए, न ही खेती के लिए जरूरी खरीददारी कर पाए।'
रिपोर्ट में बताया गया है कि कैश क्रंच के कारण नेशनल सीड्स कॉर्पोरेशन 1।38 लाख क्विटंल गेंहू के बीज नहीं बेच पाए। चूंकि सरकार ने इन्हें खरीदने के लिए बैन नोटों के इस्तेमाल की अनुमति दे दी थी, लेकिन फिर भी बिक्री नहीं हुई।
हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, संसदीय कमिटी की इस मीटिंग के दौरान समिति ने अफसरों से बहुत कड़े सवाल पूछे। सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि कृषि सचिव मीटिंग में नहीं आए थे, इसलिए समिति ने मंत्रालय के अफसरों को वापस लौटा दियाI
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