धनबाद पुलिस ने एक बहुत बड़े वाहन चोर गिरोह का पर्दाफाश किया है। गिरोह बिहार का है। धनबाद में नवंबर - दिसंबर माह से सक्रिय रहा है। 2माह के अंतराल में गिरोह ने धनबाद जिले से 3स्कॉर्पियो, एक मारुति अल्टो के10, 3टाटा सुमो, 1महिंद्रा पिक अप तथा 2बोलेरो चोरी करने की बात स्वीकारी है।इस संबंध में सिटी एसपी पियूष पांडे ने पत्रकारों को बताया कि 23दिसंबर की सुबह जेलगोड़ा के पास खड़ी स्कॉर्पियो जेएच 10एएक्स 5503तथा जेएच 10बीडी 9861को चुरा लिया गया था। संजोग से दोनों गाड़ियों में जीपीएस सिस्टम लगा हुआ था। जीपीएस का लोकेशन लगातार दाउदनगर औरंगाबाद तथा नासिरीगंज रोहतास के आसपास दिखा रहा था। पुलिस ने मोबाइल फोन पर संबंधित थानों को घटना की सूचना दी तथा उक्त दोनों स्कॉर्पियो को रोककर बरामद करने का अनुरोध किया।
सिटी एसपी ने बताया कि वरीय पुलिस अधीक्षक के हस्तक्षेप से दाउदनगर थाना क्षेत्र से मो. सागीर उर्फ मोनू (28) पिता स्वर्गीय मुमताज अहमद, जिला औरंगाबाद बिहार को स्कॉर्पियो संख्या जेएच 10बीडी 9861के साथ रंगे हाथों पकड़ लिया गया। दूसरी स्कॉर्पियो जेएच 10एएक्स 5503को नासिरीगंज रोहतास से बरामद किया गया।अभियुक्त ने पुलिस को बताया कि उन्होंने धनबाद से एक मारुति अल्टो के10जेएच 10एजी 2388को 3नवंबर को जोरापोखर से चुराया था। इसी गाड़ी से वे लोग 23दिसंबर को धनबाद पहुंचे थे तथा दोनों स्कॉर्पियो को चुराया था। पुलिस ने जब अल्टो को जप्त किया तो उस पर जमशेदपुर का झाली नंबर प्लेट लगा हुआ था।पुलिस ने चोरी की अल्टो की पहचान उसके असली मालिक चंदन कुमार से करवाई। इसके लिए पुलिस ने वीडियो कॉल करके उसे गाड़ी दिखाई। पुष्टि होने पर चंदन तत्काल डेहरी-ऑन-सोन पहुंचा और अपनी गाड़ी का पूर्ण रूप से पहचान किया।मोनू ने पुलिस को बताया कि गिरोह का सरगना अशरफ उर्फ पप्पू खान रोहतास थाना क्षेत्र का है। गिरोह के अन्य सदस्यों में इसराइल खान, अरशद खान तथा अन्य लोग शामिल है।
उसने पुलिस को बताया कि गिरोह ने दो-तीन नवंबर की रात गोल्डन रंग की मारुति अल्टो के10, 19-20नवंबर की रात क्रीम रंग की सरकारी टाटा सुमो गोल्ड, 25-26नवंबर की रात एक सफेद रंग की महिंद्रा पिकअप वैन, 12अक्टूबर को सफेद रंग की बोलेरो, 30नवंबर को एक टाटा सुमो गोल्ड, 18दिसंबर को एक मैरून रंग की सुमो विक्टा, 11अक्टूबर को क्रीम रंग की बोलेरो तथा बोकारो से नवंबर माह में एक सफेद रंग की स्कार्पियो चोरी की है।गिरोह पूर्व में चोरी की गई कार के साथ संध्या रोहतास, औरंगाबाद से चलकर रात के 9-10बजे धनबाद जिले में पहुंचते थे। उसके बाद चाय नाश्ता करके एक दो घंटा आराम करने के बाद सड़क के किनारे खड़ी गाड़ियों की खोज में निकलते थे।चोरी करने के लिए सही और सुरक्षित स्थिति को भांपकर वे टारगेटेड वाहन की निगरानी के लिए अपने सहयोगी को खड़ा कर देते थे। गिरोह का अशरफ लॉक तोड़ने में माहिर है। वह गाड़ी का लॉक तोड़कर गाड़ी स्टार्ट करता था। फिर गिरोह के अन्य सदस्य गाड़ी लेकर चार-पांच घंटे में रातोंरात टोल टैक्स गेट से बचने के लिए लूप रोड का इस्तेमाल कर जीटी रोड पकड़ कर वापस रोहतास, औरंगाबाद लौट जाते थे। औरंगाबाद पहुंचकर गाड़ी में फर्जी रजिस्ट्रेशन नंबर लगा दिया जाता था।
सिटी एसपी ने बताया कि रजिस्ट्रेशन नंबर भी वे बड़ी चालाकी से लगाते थे। वे चोरी की गई गाड़ी पर उसी निर्माण तिथि के आसपास के समय की एवं वही कंपनी, मेक, मॉडल, रंग आदि विवरण की गाड़ी का रजिस्ट्रेशन नंबर लगाते थे। अपराधी जानते थे कि प्रायः चेकिंग के दौरान पुलिस भौतिक रूप से इंजन नंबर तथा चेसिस नंबर का सत्यापन नहीं कर पाती है। इंटरनेट से चेक करने पर सारे डिटेल सही पाकर गाड़ी को छोड़ देते हैं।अपराधी चोरी की गई गाड़ी को किसी दूसरे शहर में सड़क के किनारे स्थित गैरेज में रिपेयर करने के बहाने खड़ी कर देते थे, जिससे किसी को कोई संदेह ना हो। बाद में गाड़ियों को या उसके स्पेयर्स पार्ट्स को बेच दिया जाता था। ऐसी चोरी की गाड़ियां बिहार में शराब माफियाओं द्वारा खरीदी जाती थी।
सिटी एसपी ने बताया कि छापामारी टीम में पुलिस निरीक्षक सह थाना प्रभारी जोरापोखर सत्यम कुमार, जोरापोखर थाना के महावीर यादव, अमित कुमार सिंह, मदरा उरांव, कुमार शंभू शरण, प्रमोद कुमार, देवराज पासवान तथा अशोक कुमार मंडल शामिल थे।
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