कोयला कारोबारी संजय सिंह हत्याकांड के आरोप में रामधीर सिंह को कोर्ट ने गुरुवार को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया। 22 वर्षों के बाद इस मामले में कोर्ट ने दूसरा फैसला सुनाया। इससे पूर्व इस मामले में पवन सिंह एवं काशीनाथ सिंह को कोर्ट ने 27 नवंबर 2017 बरी कर दिया था।
रामधीर सिंह के खिलाफ सीआईडी की ओर से 24 फरवरी 1998 आरोप पत्र दाखिल किया गया था जिसमें रामधीर सिंह के अलावे राजीव रंजन सिंह, पवन कुमार सिंह, काशीनाथ सिंह, अशोक सिंह, विनोद सिंह को षड्यंत्रकारी बताया गया था। रामधीर सिंह के खिलाफ अदालत में सात मार्च 2017 को आरोप का गठन किया गया था। इस मामले में अभियोजन पक्ष द्वारा तीन गवाह सुरेंद्र कुमार जैन, संजय सिंह की पत्नी पुष्पा सिंह तथा बजरंग प्रसाद डालमिया को गवाह के रूप में पेश किया था। 1996 में एसपी आवास के सामने संजय की हुई थी हत्या
एसएसएलएनटी कॉलेज के बगल में एसपी आवास के सामने कोयला व्यवसायी संजय सिंह की हत्या हुई थी। संजय सिंह के बहनोई कृष्णा सिंह के बयान पर सुरेश सिंह सहित अन्य पर हत्या का मामला दर्ज किया गया था। पुलिस की ओर से सुरेश सिंह, पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर सिंह के नाती रविशंकर सिंह उर्फ पप्पू सिंह के खिलाफ चार्जशीट दिया गया था। सीआइडी ने जांच के बाद 24 फरवरी 1998 को इस मामले में पूरक चार्जशीट सौंपी थी जिसमें सुरेश सिंह और रविशंकर को क्लीनचीट दी गई थी। पूरक चार्जशीट में सीआइडी ने हत्या में झरिया विधायक संजीव सिंह के भाई राजीव रंजन सिंह, बलिया जिला परिषद के पूर्व चेयरमैन रामधीर सिंह, पवन सिंह, काशीनाथ सिंह, विनोद सिंह और अशोक सिंह के शामिल होने की बात कही थी।
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