सिमरिया : हिंदुओं के घर-घर में पाये जाने वाले रामायण में दो वानर पात्र थे. नल और नील. उनका फेंका हुआ कोई सामान पानी में डूबता नहीं था. पानी पर तैरने लगता था. इन्हीं दोनों की वजह से लंका जाने के लिए रामसेतु बनाने में राम की वानर सेना कामयाब हो सकी. यह धर्मग्रंथ की बात है. वर्तमान युग में पत्थर के पानी पर तैरने की कोई कल्पना भी नहीं कर सकता, लेकिन, चतरा जिला के सिमरिया प्रखंड में सैकड़ों लोगों ने ऐसा देखा है. इसके बाद से नदी के बीच में पूजा-अर्चना का दौर जारी है. सिकरी गांव और कदले के बीच से गुजरने वाली नदी के किनारे मेला जैसा माहौल बन गया है.
बिहार की सीमा के पास स्थित चतरा जिले के सिमरिया प्रखंड में स्थित नदी में तैरता पत्थर देख इलाके के लोग आश्चर्चयचकित हैं. इस पत्थर की पूजा करने के लिए भक्तों की भारी भीड़ उमड़ रही है. पुजारी और पुजारिनों ने तो यहां तक कहा है कि इस पत्थर में देवी के सभी 36स्वरूप मौजूद हैं. इसके बाद से लोगों ने नदी के बीच में सूर्य मंदिर के निर्माण की मांग शुरू कर दी है.
बताया जाता है कि वीरेंद्र कुमार राणा स्नान करने के लिए नदी में गये थे. उन्होंने नदी में एक पत्थर को पानी पर तैरते देखा. वह तुरंत गांव लौटे और ग्रामीणों को इस दुर्लभ दृश्य के बारे में बताया. शेखर कुमार, इंदरनाथ महतो, लालधारी महतो, शीला देवी, पार्वती देवी और अन्य ग्रामीण नदी के तट पर पहुंचे और उन्होंने भी इस बात की पुष्टि की कि पानी पर एक पत्थर का टुकड़ा तैर रहा था. लोगों ने कहा कि यह कैसी लीला है, किसी के भी समझ से यह परे है. पानी पर पत्थर तैर सकता है, सहसा विश्वास ही नहीं होता. लेकिन, ऐसा है. कई लोगों ने इसे आंखों से देखा है. इसके बाद से ही गांव के लोगों में भक्ति भाव उमड़ने लगा. आसपास के गांव के लोग भी इस तैरते पत्थर की पूजा करने के लिए नदी में पहुंच रहे हैं.भगत-भगताइन वहां पूजा कर रहे हैं. उनका कहा है कि पत्थर में छत्तीस रूप में देवी विराजमान हैं. इनके दर्शन के लिए सिमरिया, डाली, एदला, चौथा, हुरमुड, रोल, मझलीटांड, टुटीलावा, केंदुआ, नावाडीह, बाजोबार, मनातू, कान्हुखाप, बसरिया व अन्य गांवों से लोग यहां आ रहे हैं. तपती गर्मी में दिन भर लोगों का आना-जाना लगा है. महिला, पुरुष और बच्चे, सभी आ रहे हैं. सिकरी और कदले के लोगों का कहना है कि नदी में ही सूर्य मंदिर का निर्माण करवाया जाये.
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