उच्चतम न्यायालय ने किशोर न्याय कानून का प्रभावी तरीके से अमल सुनिश्चित करने के लिए शुक्रवार (9 फरवरी) को केन्द्र और राज्यों को अनेक निर्देश दिए और कहा कि बाल अधिकारों के संरक्षण संबंधी राष्ट्रीय और राज्य आयोगों में सभी रिक्त स्थानों पर नियुक्तियां की जायें. न्यायमूर्ति मदन बी. लोकूर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने राज्यों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि किशोर न्याय बोर्ड ओर बाल कल्याण समितियों में नियमानुसार सभी रिक्त स्थानों पर भर्तियां की जाये. पीठ ने इसके साथ ही आगाह किया कि इसमें किसी भी प्रकार के विलंब का प्रतिकूल असर हो सकता है, इसलिए इससे बचना चाहिए. शीर्ष अदालत ने सभी उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों से अनुरोध किया कि वे किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) कानून, 2015 के प्रभावी तरीके से अमल के लिये स्वत: ही कार्यवाही शुरू करें.
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