जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने राज्य विधानसभा को तत्काल प्रभाव से भंग करने के पीछे चार प्रमुख वजहें गिनाईं। राजभवन ने बुधावर रात जारी एक बयान में कहा, 'इनमें बड़े पैमाने पर विधायकों की खरीद-फरोख्त की आशंका एवं विरोधी राजनीतिक विचारधारा के राजनीतिक दलों के साथ मिलकर स्थायी सरकार दे पाना नामुमकिन होने जैसी बातें भी शामिल हैं।' गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी पीडीपी ने नैशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस के समर्थन से नई सरकार बनाने का दावा पेश किया, तो गवर्नर ने विधानसभा ही भंग कर दी। दरअसल, पीडीपी के दावे के बाद दो विधायकों वाले दल पिपल्स कॉन्फ्रेंस ने भी बीजेपी एवं अन्य पार्टियों के 18 विधायकों के समर्थन से सरकार बनाने का दावा पेश किया था। इसके बाद राजभवन से जारी शासकीय अधिसूचना में विधानसभा भंग करने का ऐलान कर दिया गया।
बाद में राजभवन ने एक बयान में कहा, 'गवर्नर ने विभिन्न सूत्रों से उपलब्ध तथ्यों के आधार पर यह फैसला लिया है।'
बयान में विधानसभा भंग करने के चार प्रमुख बिंदुओं का जिक्र करते हुए कहा गया, 'विरोधी विचारधारा वाले राजनीतिक दलों के साथ मिलकर स्थायी सरकार दे पाना नामुमकिन है, खासकर जब गठबंधन में वैसी पार्टियां भी हों जो विधानसभा भंग करने की मांग करती रही हों। पिछले कुछ वर्षों के अनुभव बताते हैं कि अस्पष्ट बहुमत के साथ, जैसा कि विधानसभा की मौजूदा स्थिति है, समान सोच वाले दलों के साथ गठबंधन से स्थायी सरकार बनाना संभव नहीं होता है। ऐसी पार्टियों का एक साथ आना सिर्फ सत्ता पाने का प्रयास है, न कि उत्तरदायी सरकार बनाने का।'
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