लोक आस्था का महापर्व छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान 11 नवंबर से शुरू होगा।उस दिन व्रती नहाय-खाय का अनुष्ठान करेंगे।12 नवंबर को खरना, 13 नवंबर को सायंकालीन अर्घ्य और 14 अक्टूबर को प्रात:कालीन अर्घ्य दिया जाएगा।शहर में पूजा सामग्रियों की दुकानें सज गई हैं।खासतौर से मिट्टी के चूल्हे, आम की लकड़ी, नारियल, सूप, दउरा आदि की बिक्री शुरू है।रविवार को नहाय-खाय के दिन छठव्रती नियम-संयम के साथ स्नान कर शुद्ध आहार लेंगे।
बता दें कि छठ के पहले दिन यानि नहाय-खाय के दिन को ही कद्दू भात कहा जाता है।इस दिन मुख्य रूप से व्रती कद्दू की सब्जी, अरवा चावल का भात, चने की दाल, आंवले की चटनी, लौकी का बजका आदि ग्रहण करेंगे।व्रतियों के बाद श्रद्धालु भी नहाय-खाय का प्रसाद खाने व्रतियों के घर जुटेंगे।उधर छठ गीतों के कई नए गीत बाजार में खूब पसंद किए जा रहे हैं।लेकिन, शारदा सिन्हा के गीतों की आज भी सबसे ज्यादा डिमांड है।इसके अलावा डॉ. नीतू कुमारी नूतन, देवी, मनोज तिवारी, पवन सिंह आदि के गीत भी खूब पसंद किए जा रहे हैं।
छठ पर्व के दूसरे दिन खड़ना मनाया जाता है।बता दें कि इस दिन छठ व्रती खीर पुरी, या रसिया और रोटी बनाते हैं।इसे प्रसाद रूप में ग्रहण कर सबमें बांटा जाता है।इतना ही नहीं इस दिन ठेकुआ और अन्य तरह के प्रसाद बनाए जाने का नियम है। तीसरे दिन शाम को पहली अर्घ दी जाती है।इस दिन छठ व्रती पानी में खड़े होकर भगवान भास्कर के डूबने के बाद अर्घ देते हैं।और भगवान से कामना करते हैं कि भगवान उनकी सब कामनाओं को पूरी करें।और छठ के अंतिम दिन यानि चौथे दिन सुबह को भगवान को सुबाह को अर्घ दी जाती है।कुल इस प्रकार छठ का महापर्व मनाया जाता है।
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