हेल्थ इंश्योरेंस एक तरह की बीमा सेवा है, जिसमें मेडिकल और सर्जिकल खर्च का भुगतान किया जाता है। मुख्यत: यह पॉलिसी बीमा धारक को दुर्घटना या किसी रोग के समय अस्पताल, एम्बुलेंस, नर्सिंग केयर, सर्जरी, डॉक्टर से सलाह आदि के खर्च में मदद करती है। इन सब लाभ के लिए बीमा कंपनी से एक तय प्रीमियम देकर एक बीमा पॉलिसी लेनी होती है। स्वास्थ्य बीमा हेल्थ प्लान लेने से पहले उसकी शर्त को ध्यान से समझें। अगर खुद पढ़कर समझ नहीं आ रहा हो तो किसी जानकर की मदद लें। पॉलिसी के बीच तुलना रूम रेंट, आईसीयू चार्ज, एम्बुलेंस चार्ज, डे-केयर, प्री-पोस्ट अस्पताल खर्च, कैशलेस नेटवर्क, वेटिंग पीरियड, ओपीडी, नो क्लेम बोनस, प्रीमेडिकल चेकअप आदि को आंकते हुए करें। हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी का चुनाव सिर्फ प्रीमियम देखकर नहीं करना चाहिए। इसमें और दूसरी बातों का भी ख्याल रखना जरूरी है, जैसे परिवार की चिकित्सा की जरूरतें। अगर आप केवल प्रीमियम को देखकर प्लान चुनते हैं, तो संभव है कि आपको सस्ता कवर मिल जाए, लेकिन यह आपकी जरूरतों के लिए कम पड़ सकता है।
पॉलिसी खरीदने से पहले अपनी जरूरत को समझे। अगर आपके परिवार में वरिष्ठ नागरिक माता-पिता हैं तो अपने साथ-साथ अपनी पत्नी/पति और बच्चों के लिए एक फ्लोटर पॉलिसी और अपने माता-पिता के लिए अलग से एक इंश्योरेंस पॉलिसी लेना सबसे अच्छा होगा।
निजी बीमा कंपनियों से हेल्थ इंश्योरेंस लेने का प्रीमियम काफी ज्यादा है। अगर, आप ऊंचे प्रीमियम नहीं दे सकते हैं तो पब्लिक सेक्टर की कंपनियों का रुख कर सकते हैं। ओरियंटल, नेशनल, यूनाइटेड और न्यू इंडिया कम प्रीमियम पर हेल्थ इंश्योरेंस देती है। हालांकि, इन कंपनियों का समएश्योर्ड रकम 1 लाख से 2 लाख रुपए तक ही है।
पॉलिसी का विवरण: पॉलिसी लेने से पहले उसके विवरण को अच्छी तरह पढ़े और समझे। पता करें कि उस पॉलिसी में दुर्घटना, मातृत्व लाभ, एम्बुलेंस, शल्य चिकित्सा और आउट पेशेंट उपचार के लिए क्या प्रावधान हैं। क्या इन सभी को अच्छी तरह से शामिल किया गया है। अगर आपकी पॉलिसी इन सभी पर कवर देती है तो कवर की राशि पता करें।
वेटिंग पीरियड: हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदने से पहले पता करें कि इसमें बीमारियों के लिए प्रतीक्षा अवधि कितने साल का है। पॉलिसी में कई बीमारियों के लिए वेटिंग पीरियड 2 से 3 साल होता है। यानी इन बीमारियों का कवर दो से तीन साल के बाद मिलेगी। इसलिए पॉलिसी का चुनाव में वेटिंग पीरियड का भी ख्याल रखें।
प्रीमियम: पॉलिसी का प्रीमियम की उम्र, परिवार के इतिहास, जॉब में रिस्क, बीमारी आदि को देखते हुए तय किया जाता है। पॉलिसी लेने से पहले प्रीमियम को प्रभावित करने वाले कारकों को समझना बहुत जरूरी है। यह आपको कम प्रीमियम पर बेहतर हेल्थ इंश्योरेंस चुनने में मदद करेगा।मेडिकल टेस्ट: कई कंपनियों ने पॉलिसी देने से पहले मेडिकल टेस्ट को अनिवार्य कर रखा है। यह बीमा धारकों के स्वास्थ्य की सही जानकारी लेने के लिए किया जाता है। अगर, बीमा कंपनी मेडिकल टेस्ट नहीं करती है तो आप फॉर्म में बिल्कुल सही जानकारी दें। सही जानकारी छुपाने पर आपको दावा लेने में परेशानी हो सकती है।
हॉस्पिटल नेटवर्क: हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी का लाभ लेने के लिए सबसे जरूरी है उस पॉलिसी के साथ बड़ा हॉस्पिटल नेटवर्क जुड़ा हो। किसी भी कंपनी की पॉलिसी का चुनाव तभी करें जब उसके साथ कैशलेस हॉस्पिटल का बड़ा नेटवर्क जुड़ा हो। साथ में यह भी कोशिश करें कि आप के आसपास के हॉस्पिटल उस लिस्ट में शामिल हो।
ओपीडी कवर भी एक अच्छा विकल्प
ओपीडी कवर में पॉलिसी होल्डर बुखार, दांतों का इलाज, टेस्ट, वार्षिक स्वास्थ्य परीक्षण व डाक्टर की फीस और दवाओं का खर्च, कॉन्टेक्ट लेंस, चश्मा, आदि के खर्चों को कवर मिलता है। यानी, न सिर्फ अस्पताल में भर्ती के बाद बल्कि छोटी-मोटी बीमारियों के खर्चे भी इसमें कवर हो जाता है। वहीं साधारण हेल्थ इन्श्योरेंस में सिर्फ अस्पताल में भर्ती के बाद ही कवर मिलता है। हालांकि, इसके लिए आपको अधिक प्रीमियम का भुगतान करना होगा।
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