1957में जब अटल बिहारी वाजपेयी बलरामपुर से पहली बार लोकसभा सदस्यबनकर पहुंचे तो सदन में उनके भाषणों ने तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडितजवाहरलाल नेहरू को बेहद प्रभावित किया। विदेश मामलों में वाजपेयी कीजबर्दस्त पकड़ के पंडित नेहरू कायल हो गए। उस जमाने में वाजपेयी लोकसभामें सबसे पिछली बेंचों पर बैठते थे लेकिन इसके बावजूद पंडित नेहरू उनकेभाषणों को खासा तवज्जो देते थे।इन स्टेट्समैन नेताओं के रिश्तों से जुड़े कुछ किस्सों का वरिष्ठपत्रकार किंगशुक नाग ने अपनी किताब अटल बिहारी वाजपेयी- ए मैन फॉर ऑलसीजनमें जिक्र किया है। उन्होंने लिखा है कि दरअसल एक बार जब ब्रिटिशप्रधानमंत्री भारत की यात्रा पर आए तो पंडित नेहरू ने वाजपेयी से उनकाविशिष्ट अंदाज में परिचय कराते हुए कहा, इनसे मिलिए। ये विपक्ष के उभरतेहुए युवा नेता हैं। मेरी हमेशा आलोचना करते हैं लेकिन इनमें मैं भविष्य कीबहुत संभावनाएं देखता हूं।
इसी तरह यह भी कहा जाता है कि एक बार पंडित नेहरू ने किसी विदेशी अतिथि से अटल बिहारी वाजपेयी का परिचय संभावित भावी प्रधानमंत्री के रूप में कराया।नाग ने अपनी किताब में 1977 की एक घटना का जिक्र किया है जिससे पता चलता हैकि पंडित नेहरू के प्रति वाजपेयी के मन में कितना आदर था। उनके मुताबिक1977 में जब वाजपेयी विदेश मंत्री बने तो जब कार्यभार संभालने के लिए साउथब्लॉक के अपने दफ्तर पहुंचे तो उन्होंने गौर किया कि वह पर लगा पंडित नेहरू की तस्वीर गायब है। उन्होंने तुरंत अपने सेकेट्री से इस संबंध में पूछा। पता लगा कि कुछ अधिकारियों ने जानबूझकर वह तस्वीर वहां से हटा दी थी। वो शायद इसलिए क्योंकि पंडित नेहरू विरोधी दल के नेता थे। लेकिन वाजपेयी ने आदेश देते हुए कहा कि उस तस्वीर को फिर से वहीं लगा दिया जाए।
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