रांची/नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी स्कूलों में मध्याह्न भोजन योजना के कार्यान्वयन और स्वच्छता की निगरानी के लिए एक चार्ट के साथ ऑनलाइन लिंक देने में विफलता के लिए झारखंड, तमिलनाडु और उत्तराखंड पर 50-50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया. जस्टिस मदन बी लोकुर और जस्टिस दीपक गुप्ता की पीठ ने इस बात पर नाखुशी जतायी कि चूक करने वाले इन तीन राज्यों ने अब तक इस संबंध में शीर्ष अदालत के निर्देशों का पालन नहीं किया है.
पीठ ने कहा, ‘इन तीन राज्यों की चूक के मद्देनजर इन राज्यों पर 50-50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जाता है. इस राशि को किशोर न्याय से जुड़े मुद्दों में इस्तेमाल के लिए चार सप्ताह के भीतर सुप्रीम कोर्ट विधिक सेवा प्राधिकरण में जमा किया जाये.’ याचिकाकर्ता की ओर से उपस्थित वकील ने पीठ से कहा कि कुछ राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों ने वेबसाइट पर अलग लिंक नहीं दिया है, जबकि ऐसा न्यायालय के निर्देश की शर्तों के अनुसार करना था और उन्होंने कोई चार्ट नहीं भरा है.
पीठ ने कहा, ‘अन्य चूक करने वाले राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में अरुणाचल प्रदेश, दादरा एवं नागर हवेली और पुडुचेरी शामिल हैं. फिलहाल हम इन राज्यों पर जुर्माना नहीं लगा रहे हैं. हम उम्मीद करते हैं कि ये राज्य समय-समय पर इस अदालत द्वारा दिये गये निर्देशों का पालन करेंगे.’
पीठ ने इसके बाद मामले की सुनवाई की अगली तारीख 20 सितंबर को निर्धारित कर दी. न्यायालय मध्याह्न भोजन के संबंध में एनजीओ ‘अंतरराष्ट्रीय मानव अधिकार निगरानी परिषद’ की याचिका पर सुनवाई कर रहा था. शीर्ष अदालत ने पिछले साल 23 मार्च को राज्य सरकारों और केंद्रशासित प्रदेशों से मध्याह्न भोजन योजना का लाभ पा रहे कुल छात्रों की संख्या समेत अन्य सूचनाएं तीन महीने के भीतर अपनी वेबसाइटों पर डालने को कहा था।
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