सावन में भगवान शिव की अराधना में जिन मंत्रों का जाप किया जाता उनमें महामृत्युंजय मंत्र प्रमुख है। इस मंत्र के जाप से भगवान शिव प्रसन्न करने के साथ ही अकाल मृत्यु भी बचा जा सकता है। इस बात का उल्लेख शास्त्रों और पुराणों में किया गया है। पौराणिक कथाओं में कहा गया है कि मनुष्य इस मंत्र के जाप के प्रभाव से मौत के मुंह में जाते-जाते बच जाता है। इस मंत्र से महाकाल शिव की असीम कृपा मिलती है और मनुष्य की आयु बढ़ती है।
महामृत्युंजय मंत्र -
ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्रयम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उव्र्वारूकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।।
अर्थ - हम उन भगवान शिव की पूजा करते हैं जिनके तीन नेत्र हैं, जो प्रत्येक श्वास में जीवन शक्ति का संचार करते हैं, जो सम्पूर्ण जगत का पालन-पोषण अपनी शक्ति से करते हैं, उन महादेव शिव से हमारी प्रार्थना है कि वे हमें मृत्यु के बंधनों से मुक्त कर दें, जिससे मोक्ष की प्राप्ति हो सके।
मंत्र जाप से पहले ध्यान रखें ये बातें-
इस मंत्र का जाप करते वक्त यह ध्यान रहे कि मंत्र का उच्चारण बिल्कुल ठीक हो। इस मंत्र का जाप किसी शिव मंदिर या जहां भगवान शिव की मूर्ति या शिवलिंग स्थापित वहां पर बैठकर पूर्व दिशा की ओर मुंह कर ही करें। सावन के सोमवार को महामृत्युंजय मंत्र का जाप किया जा सकता है। हो सके तो किसी पंडित से शुभ मुहुर्त निकलवाकर जा और जाप की विधि पूछकर ही इस मंत्र का जाप करें।
महामृत्युंजय मंत्र का महत्व-
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इस मंत्र के जाप से साधक की अकाल मृत्यु से रक्षा होती है।
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कुछ अनिष्ट होने का भय या आशंका हो तो इस मंत्र का जाप कर आप उस अनिष्ट को टाल सकते हैं।
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शनि ग्रह के अशुभ प्रभाव जैसे शनि की साढ़ेसाती अथवा ढैया के प्रकोप को कम करने के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जाप कर सकते हैं।
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रोगों से छुटकारा और जीवन में प्रसन्नता की प्राप्ति करने के लिए भी इस मंत्र के जाप से अच्छा कुछ और नहीं है।=
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यदि आपकी कुंडली में किसी भी तरह से मृत्यु दोष या मारकेश है तो इस मंत्र का जाप करें तो उस दोष का प्रभाव कम हो जाएगा।
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किसी भी तरह की महामारी और पारिवारिक कलह, संपत्ति विवाद आदि से बचने के लिए इस मंत्र का जाप किया जाता है।
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इस मंत्र का जाप आर्थिक परेशानी या आपके व्यापार में घाटा की स्थिति में भी कर सकते हैं।
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