नई दिल्ली। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने वित्त मंत्रालय को चिट्ठी लिखकर कहा है कि पैन कार्ड में बच्चों को अपने पिता का नाम न लिखने का विकल्प दिया जाए। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय का कहना है कि तलाकशुदा, सिंगल मदर्स या पति से अलग हो चुकी महिलाओं के बच्चों को पैन कार्ड में पिता का नाम न लिखने का विकल्प दिया जाना चाहिए। मेनका गांधी ने पियूष गोयल को इस मामले में चिट्ठी लिखकर पैन कार्ड के एप्लीकेशन फॉर्म को फिर से जांचने के लिए कहा है पत्र मे लिखा है।महिला एवं बाल विकास मंत्रालय चाहता है कि तलाकशुदा और सिंगल मदर्स के बच्चों को पैन कार्ड में पिता का नाम न लिखने का विकल्प दिया जाए। डब्लूसीडी मंत्री मेनका गांधी ने इस सिलसिले में वित्त मंत्रालय को चिट्ठी भी लिखी है। हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार गांधी ने सिंगल मदर्स द्वारा आवेदनों को दाखिल करने में सुविधा प्रदान करने के लिए पियूष गोयल को खत लिखकर पैन कार्ड के एप्लीकेशन फॉर्म की पुन: जांच के लिए कहा है। गांधी का कहना है कि पति से अलग हो चुकी कई महिलाएं अपने बच्चों के दस्तावेजों में पूर्व पति का नाम नहीं देना चाहतीं।
वित्त मंत्रालय को लिखी अपनी चिट्ठी में गांधी ने लिखा, ऐसी सिंगल मदर्स की संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए, उन्हें विभिन्न सरकारी अधिकारियों के समक्ष दायर किए जाने वाले अनुप्रयोगों पर अपने पूर्व-पतियों के नामों का उल्लेख न करने का विकल्प देना महत्वपूर्ण है।गांधी ने ये भी कहा कि सिंगल महिलाएं बच्चों को गोद ले रही हैं और उनका मंत्रालय उन्हें प्राथमिकता दे रहा है। ऐसे केसों में बच्चों का कोई पिता नहीं होता जिसका नाम पैन कार्ड पर दिया जा सके।
फिलहाल पैन कार्ड में पिता का नाम लिखना अनिवार्य है, जो पहचान प्रमाण के रूप में भी कार्य करता है। यह एक यूनीक दस अंकों की अल्फान्यूमेरिक पहचान है जो आयकर विभाग प्रत्येक करदाता को आवंटित करता है।
इससे पहले विदेश मंत्रालय सिंगल मदर्स के लिए पासपोर्ट फॉर्म में बदलाव कर चुका है। पहले सिंगल मदर्स और तलाकशुदा महिलाओं को बच्चे का पासपोर्ट बनवाने के लिए पति के हस्ताक्षर की जरूर पड़ती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं है। नए नियमों के अनुसार अब पासपोर्ट फॉर्म में केवल माता या पिता का नाम होना चाहिए। जो महिलाएं फॉर्म में अपने पूर्व पति का नाम नहीं देना चाहती हैं, उन्हें ऐसा करने का विकल्प दिया गया है।
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