जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन लागू करने के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंजूरी दे दी है। यहां कल मंगलवार को भाजपा-पीडीपी गठबंधन की सरकार से भाजपा ने समर्थन वापस ले लिया। जिसके बाद सरकार अल्पमत में आ गई और राज्यपाल ने प्रदेश में राज्यपाल शासन के लिए राष्ट्रपति को रिपोर्ट भेज दी। इस रिपोर्ट पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आज अपनी मंजूरी दे दी।
भाजपा ने मंगलवार को सबको चौंकाते हुए जम्मू-कश्मीर में पीडीपी के साथ 40 माह पुरानी दोस्ती तोड़ते हुए समर्थन वापस ले लिया। भाजपा के इस फैसले के तुरंत बाद ही मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया। वहीं, देर शाम राज्यपाल एन एन वोहरा ने राष्ट्रपति रामनाथ र्कोंवद को भेजी गई अपनी रिपोर्ट में केंद्रीय शासन लागू करने की सिफारिश की थी।
भाजपा महासचिव राम माधव ने आनन-फानन में बुलाए गए संवाददाता सम्मेलन में पत्रकारों को बताया, राज्य की गठबंधन सरकार में बने रहना भाजपा के लिए जटिल हो गया था। उन्होंने कहा कि केंद्र ने घाटी के लिए सब कुछ किया। लेकिन आतंकवाद समेत कई मुद्दों पर पीडीपी अपने वादे पूरे करने में सफल नहीं रही। जम्मू और लद्दाख में विकास कार्यों को लेकर हमारे नेताओं को पीडीपी से काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा था। इसलिए समर्थन वापस ले रहे हैं। इससे पहले भाजपा आलाकमान ने जम्मू-कश्मीर सरकार में अपने मंत्रियों को आपातकालीन विचार-विमर्श के लिए दिल्ली बुलाया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह से विचार विमर्श के बाद समर्थन वापसी का फैसला लिया गया।
यह आठवां राज्यपाल शासन
पिछली बार मुफ्ती सईद के निधन के बाद 8 जनवरी 2016 को राज्यपाल का शासन लागू हुआ था। उस दौरान पीडीपी और भाजपा ने कुछ समय के लिए सरकार गठन को टालने का निर्णय किया था। तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से संस्तुति मिलने पर जम्मू - कश्मीर के संविधान की धारा 92 को लागू करते हुए वोहरा ने राज्य में राज्यपाल शासन लगाया था।
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