पश्चिम बंगाल के साउथ 24 परगना जिले में अवैध रूप से बसे रोहिंग्या देश की सुरक्षा के लिए खतरा हो सकते हैं। केंद्रीय एजेंसियों का कहना है कि ये लोग राज्य सरकार की जमीन में अवैध रूप से बसे हैं और इससे अवैध रूप से बसने वाले लोगों को प्रोत्साहन मिलता है। एजेंसियों का कहना है कि रोहिंग्याओं की पहचान करने में पश्चिम बंगाल सरकार गंभीर नहीं दिखती है। एक खुफिया अधिकारी ने कहा कि बांग्लादेश से सटे जिले के हरदहा, बरुईपुर इलाकों में 130 से ज्यादा रोहिंग्या परिवार अवैध रूप से बसे हैं। हालांकि केंद्र सरकार ने सभी राज्य सरकारों को अडवाइजरी कर ऐसे लोगों की पड़ताल करने की कहा है ताकि उन्हें प्रत्यर्पित किया जा सके।
अधिकारी ने कहा कि केंद्र की अडवाइजरी के बाद भी पश्चिम बंगाल सरकार भारतीय क्षेत्र में रोहिंग्याओं की अवैध एंट्री पर निगरानी रखने को लेकर गंभीर नहीं है। एक खुफिया अधिकारी ने कहा, सीमा के पास इन लोगों के कैंप बनना सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है। इससे मानव तस्करी को बढ़ावा मिल सकता है, इसके अलावा रोहिंग्याओं की अवैध एंट्री और बढ़ सकती है। अधिकारी ने दावा किया कि रोहिंग्याओं की घुसपैठ से बरुईपुर के स्थानीय समुदाय में गुस्सा है। खासतौर पर स्थानीय नेतृत्व के एक वर्ग की ओर से इन्हें बसाने को लेकर उत्साह दिखाए जाने से लोगों में नाराजगी है।
तृणमूल नेता दे रहे अवैध रोहिंग्या बस्तियों को बढ़ावा
केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों ने बताया कि यहां बसे कैंपों को कोलकाता स्थित एक एनजीओ देश बचाओ सामाजिक कमिटी की ओर से मदद मिल रही है। इस एनजीओ का संचालन कोलकाता के हुसैन गाजी करते हैं, जबकि कथित तौर पर इसे फंडिंग हैदराबाद स्थित एक चैरिटी संगठन से मिलती है। सलामाह नाम के इस संगठन की ओर से गाजी को 4 लाख रुपये की रकम रोहिंग्याओं को बसाने के लिए दी गई। केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों का आकलन है कि जिले में सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस के नेता रोहिंग्या के अवैध रूप से बसने को बढ़ावा दे रहे हैं। अधिकारी ने कहा कि सरकारी जमीनों पर इन कैंपों का लगना चिंता की बात है।
बता दें कि पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी पहले भी रोहिंग्याओं के प्रति नरमी दिखा चुकी हैं। बीते साल उन्होंने ट्वीट किया था, संयुक्त राष्ट्र की ओर से रोहिंग्या समुदाय के लोगों की मदद की अपील का हमें समर्थन करना चाहिए। यही नहीं बनर्जी ने कहा था कि सरकार को आतंकियों से संपर्क रखने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए, लेकिन दहशतगर्द और अन्य लोगों में अंतर करना होगा। पिछले साल के आंकड़ों के मुताबिक देश में करीब 40,000 रोहिंग्या अवैध रूप से बसे हुए हैं।
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