केंद्रीय महिला एंव बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने गुरुवार को राज्य सरकारों और केंद्र शाषित प्रदेशों से कहा है कि महिलाओं और बच्चों से जुड़े यौन उत्पीड़न के मामलों की जांच के लिए स्पेशल सेल का गठन करें। गांधी ने सभी मुख्यमंत्रियों और केंद्र शासित प्रदेशों के उपराज्यपालों को चिट्ठी लिखकर कहा कि वे सुनिश्चित करें कि यौन उत्पीड़न से जुड़े मामलों की जांच कानून के मुताबिक समय सेहो ताकि पीड़ितों और उनके परिजनों को जल्द न्याय मिल सके।
चिट्ठी में उन्होंने लिखा, तुरंत और समय पर की गई पेशेवर जांच ही एकमात्र तरीका है जिसमें संभावित अपराधी को सजा दी जा सकती है, लेकिन यह सिर्फ राज्यों द्वारा किया जा सकता है क्योंकि पुलिस विभाग राज्य सरकार के अधीन हैं।
गांधी ने चिट्ठी में कहा, यौन अपराधों के लिए या विशेष रूप से बच्चों पर यौन अपराधों के लिए एक विशेष सेल बनाना इस संबंध में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।
मंत्री ने यह भी सुझाव दिया कि पुलिस अधिकारियों को यौन अपराधों के विभिन्न पहलुओं पर फिर से ट्रेनिंग दी जाए, खात तौर पर सबूतों को इकट्ठा करने और उसे संरक्षित करने के बारे में सावधानी बरतें।
गांधी ने राज्य सरकारों से कहा है कि, सभी पुलिस अधिकारियों को निर्देश जारी किए जा सकते हैं कि बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों के मामलों की जांच पूरी करने में सबसे ज्यादा प्राथमिकता दी जानी चाहिए। राज्य सरकारों को ऐसे पुलिस अधिकारी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए जो ऐसे मामलों की जांच में रूकावट बनते हैं या फिर आरोपियों के साथ साठगांठ कर लेते हैं।
मंत्री ने राज्य सरकारों से बच्चों के हेल्पलाइन नंबर 1098 के साथ ही ई-बॉक्स का इस्तेमाल करने में बच्चों को जागरूक करने की अपील की। इस पहल के तहत, बच्चे अपराधों के बारे में सीधे बाल अधिकार संरक्षण के लिए राष्ट्रीय आयोग को रिपोर्ट कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि यौन अपराधों के मामलों में सबूतों की जांच के लिए फॉरेंसिक लैब के निर्माण में राज्य सरकार की मदद के लिए पेशकश की।
गौरतलब है कि कठुआ और उन्नाव में बलात्कार की वारदातों के बाद केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने कहा था कि वे इन घटनाओं से बेहद दुखी हैं। उन्होंने कहा था कि वे चाहती हैं कि कानून में बच्चियों के साथ बलात्कार के मामले में फांसी की सजा का प्रावधान हो
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