समय न्यूज़ 24 डेस्क
नई दिल्ली: आंध्र प्रदेश में स्थित तिरुपति बालाजी मंदिर की संपत्ति नीलाम किए जाने को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. तिरुपति मंदिर की देखरेख ‘तिरुमला तिरुपति देवस्थानम’ ट्रस्ट करता है, जो कि स्वतंत्र तौर पर काम करता है, लेकिन अब यहां भी सियासत घुस आई है। दुनिया का सबसे अमीर मंदिर तिरुपति बालाजी सुर्खियों में है, लेकिन इस बार वजह अलग है। क्योंकि आर्थिक संकट से उबरने के लिए मंदिर प्रबंधन बालाजी मंदिर को दान में मिली 23 संपत्तियों को प्रशासन नीलामी करेगा, लेकिन इसको लेकर अब सियासत शुरू हो गई है।
ताजा मामला मंदिर की संपत्ति का कुछ हिस्सा नीलाम करने को लेकर है। मंदिर की ये संपत्ति तमिलनाडु में स्थित है, जिसे नीलामी किए जाने के फैसले पर आंध्र प्रदेश के विपक्षी दलों ने आपत्ति जताई है। विपक्ष ने आरोप लगाया है कि जगनमोहन रेड्डी ने जब से मुख्यमंत्री का पद संभाला है। हिंदू मंदिरों की संपत्तियों को बेचने में लगी है। हम उनका विरोध करते हैं तो उन्हें पीछे हटना पड़ता है। इस बार तमिलनाडु में स्थित भगवान बालाजी मंदिर की 23 संपत्तियां बेचना चाहते हैं। अगर प्रशासन इस मामले में पीछे नहीं हटेगा तो हम भूख हड़ताल करेंगे।
दरअसल, तिरुपति मंदिर का प्रशासन संभालने वाले ‘तिरुमला तिरुपति देवस्थानम’ ट्रस्ट के बोर्ड का अध्यक्ष कुछ समय पहले आंध्र प्रदेश के सीएम जगनमोहन रेड्डी के रिश्तेदार वाई वी सुब्बारेड्डी को बनाया गया। सुब्बारेड्डी के पद संभालने के बाद से ट्रस्ट के विभिन्न फैसलों को लेकर अक्सर विवाद खड़ा होने लगा है। बताया जा रहा है कि मंदिर का प्रबंधन करने वाले तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम बोर्ड ने इन संपत्तियों की नीलामी के लिए दो समितियां बनाई हैं। इन संपत्तियों में तमिलनाडु के विभिन्न जिलों में स्थित मकान और खेती की जमीन भी शामिल है।
बताया जा रहा कि इन संपत्तियों की नीलामी राशि डेढ़ करोड़ रुपये रखी गई है। फिलहाल संपत्ति बेचने के लिए तय नहीं किया गया है। मंदिर प्रबंधन की माने तो दान में मिली इतनी जमीन को देखरेख करने में दिक्कत हो रही है।
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