नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना काल में देश को 5वीं बार संबोधित करते हुए 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज की घोषणा की. ये ऐलान करते हुए पीएम मोदी ने कहा, 'ये पैकेज भारत की GDP का करीब-करीब 10 प्रतिशत है. यह पैकेज 2020 में देश की विकास यात्रा को एक नई गति देगा. आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को सिद्ध करने के लिए इस पैकेज मैं लैंड, लिक्विडिटि, लेबर, कुटिर उद्योग, लघु उद्योग सभी के लिए बहुत कुछ है. ये पैकेज देश के उस किसान के लिए है, जो दिन-रात परिश्रम कर रहा है. ये देश के मध्यम वर्ग के लिए है. ये पैकेज भारत के उद्योग के लिए है. कल से आने वाले कुछ दिनों तक वित्त मंत्री द्वारा इस आर्थिक पैकेज की विस्तार से जानकारी दी जाएगी.' पीएम मोदी ने कहा, 'देश ने भारत के गरीब भाई-बहनों की सहनशक्ति का परिचय भी देखा. उन्होंने इस दौरान बहुत कष्ट झेले हैं. ऐसा कौन होगा जो उनकी अनुपस्थिति को महसूस नहीं किया होगा. इसे ध्यान में रखते हुए, हर तबके के लिए आर्थिक पैकेज में ऐलान किया जाएगा.'
लॉकडाउन 4.0 के होंगे नए नियम
पीएम मोदी ने कहा, 'साथियों सभी एक्सपर्ट बताते हैं कि कोरोना लंबे समय तक हमारे जीवन का हिस्सा बना रहेगा, लेकिन ये भी नहीं हो सकता कि ये हमारे ईर्द-गिर्द ही रहेगा. हम मास्क लगाएंगे, दो गज दूरी के नियम का पालन करेंगे. हम नियमों का पालन करेंगे, इसलिए लॉकडाउन का चौथा चरण नए नियमों वाला होगा. राज्यों से मिल रहे सुझावों से जुड़ी जानकारी 18 मई से पहले दी जाएगी. मुझे पूरा भरोसा है कि नियमों का पालन करते हुए हम कोरोना से लड़ेंगे भी और आगे बढ़ेंगे भी. आप अपने परिवार और करीबियों का जरूर ध्यान रखिएगा.' पीएम मोदी ने कहा, 'कोरोना संक्रमण से मुकालबा करते हुए दुनिया को अब चार महीने से ज्यादा समय बीत गया है. इस दौरान तमाम देशों के 42 लाख से ज्यादा लोग कोरोना से संक्रमित हुए हैं. पौने तीन लाख से ज्यादा लोगों की दुखद मृत्यु हुई है. भारत में भी लोगों ने अपनों को खोया है. साथियों एक वायरस ने दुनिया को तहस-नहस कर दिया है. सारी दुनिया जिंदगी बचाने में एक प्रकार से जंग में जुटी है. हमने ऐसा संकट न देखा है, न ही सुना है. निश्चित तौर पर मानव जाति के लिए ये सबकुछ अकल्पनीय है. ये क्राइसिस अभूतपूर्व है, लेकिन थकना, हारना, टूटना, बिखरना मानव को मंजूर नहीं है. सतर्क रहते हुए, सभी नियमों का पालन करते हुए अब हमें बचना भी है और आगे बढ़ना भी है. आज जब दुनिया संकट में है, तब हमें अपना संकल्प और मजबूतर करना होगा, हमारा संकल्प इस संकट से भी विराट होगा. साथियों, हम पिछली शताब्दी से भी लगातार सुनते आए हैं कि 21वीं सदी हिंदुस्तान की है. कोरोना संकट के बाद भी दुनिया में जो स्थितियां बन रही हैं, उसे भी हम निरंतर देख रहे हैं. आज स्थिति ये है कि भारत में हर रोज 2 लाख पीपीई और 2 लाख एन95 मास्क बनाए जा रहे हैं. भारत ने आपदा को अवसर में बदल दिया. भारत की ये दृष्टि प्रभावशाली सिद्ध होने वाली है. विश्व के सामने भारत की संस्कृति उस आत्मनिर्भरता की बात करते हैं जिसकी आत्मा वसुधैव कुटुंबकम है. भारत की प्रगति में तो हमेशा विश्वव की प्रगति समाहित रही है. भारत के लक्ष्यों का प्रभाव विश्व कल्याण पर पड़ता ही है. टीवी हो, कुपोषण हो, भारत के अभियानों का असर दुनिया पर पड़ता ही है. इन कदमों से भारत की दुनियाभर में प्रशंसा होती है. दुनिया को विश्वास होने लगा है कि भारत बहुत अच्छा कर सकता है. मानव जाति के कल्याण के लिए बहुत कुछ अच्छा दे सकता है. 130 करोड़ देशवासियों का आत्मनिर्भर भारत के संकल्प के कारण यह संभव हो पाया है.' हम ठान लें तो कोई लक्ष्य मुश्किल नहीं. ये है भारत को आत्मनिर्भर बनाना. भारत की संकल्प शक्ति ऐसी है कि भारत आत्मनिर्भर बन सकता है.
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