गृह मंत्रालय का राज्य सरकारों को निर्देश
फंसे हुए मजदूरों, छात्रों का रजिस्ट्रेशन कराकर घर भेजा जाए
भोपाल। लॉकडाउन के 36 दिन बाद मप्र और केंद्र सरकार ने राहत का द्वार खोला है। मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निर्देश पर गुरुवार से राज्य मंत्रालय वल्लभ भवन के अलावा सतपुड़ा और विंध्यांचल भवन में सरकारी कामकाज सभी सावधानियों को ध्यान में रखकर प्रारंभ हो जाएगा। शुरूआत में 30 प्रतिशत अधिकारी कर्मचारी कार्यालय पहुंचेंगे और वे कोरोना के मद्देनजर सभी आवश्यक गाइड लाइन का पालन करेंगे। वहीं केंद्र सरकार ने भी बुधवार को लॉकडाउन के बीच बड़ी राहत दी है। केंद्र ने कहा कि देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे हुए प्रवासी मजदूर, छात्र और पर्यटक अपने घरों को जा सकते हैं। इसके लिए राज्य सरकारें मदद करें।
36 दिन से बंद थे कार्यालय
कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए देशभर में 25 मार्च से लॉकडाउन किया गया था। इस कारण मंत्रालय सहित प्रदेश के सभी कार्यालय बंद थे। 36 दिन बाद गुरूवार से वल्लभ भवन, सतपुड़ा और विंध्यांचल में स्थित राज्य स्तरीय कार्यालय शुरू होंगे। प्रारंभ में 30 प्रतिशत अधिकारी कर्मचारी आएंगे और कोरोना पर नियंत्रण संबंधी सभी सावधानियां बरतेंगे। राज्य में सामान्य कामकाज प्रारंभ हो सके, इसलिए यह कदम उठाया जा रहा है।
कोरोना पर नियंत्रण संबंधी सुखद संकेत
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना पर नियंत्रण संबंधी सुखद संकेत ये है कि पाजीटिव केस प्रतिशत के आधार पर कम हो रहे हैं। मृत्यु दर भी घटी है और संक्रमित व्यक्तियों के स्वस्थ होकर घर लौटने वालों की संख्या बढ़ी है। उन्होंने कहा कि हम जनता के सहयोग से स्थितियों पर धीरे धीरे काबू पाकर आगे बढ़ रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि गंभीर स्थिति वाले जिलों में अधिकारियों की टीम भेजी जा रही हैं, जिसमें अलग अलग विभागों से संबंधित अधिकारी शामिल रहेंगे। ये अधिकारी संबंधित जिलों में कैंप कर स्थितियों की समीक्षा कर स्थानीय प्रशासन को आवश्यक दिशानिर्देश देंगे। लॉकडाउन आदि के संबंध में भी यह अधिकारी निर्धारित करेंगे।
घर लौट सकेंगे लॉकडाउन में फंसे लोग
केंद्र सरकार ने बुधवार को लॉकडाउन के बीच बड़ी राहत दी है। केंद्र ने कहा कि देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे हुए प्रवासी मजदूर, छात्र और पर्यटक अपने घरों को जा सकते हैं। इसके लिए राज्य सरकारें मदद करें। गृह मंत्रालय ने यह आदेश जारी किया है और कहा कि ऐसे सभी लोगों का रजिस्ट्रेशन कराया जाए और सोशल डिस्टेंसिंग के मानकों को ध्यान में रखते हुए घरों तक भेजा जाए।
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