नई दिल्ली - कोरोना संकट से निपटने को लागू किए गए लॉकडाउन के दौरान देशभर में घरेलू हिंसा के मामले 95 फीसदी तक बढ़ गए हैं। राष्ट्रीय महिला आयोग ने देशव्यापी बंद से पहले और बाद के 25 दिनों में विभिन्न शहरों से मिली शिकायतों के आधार पर यह दावा किया है।
आयोग की मानें तो महिलाओं से घरेलू हिंसा के मामले लगभग दोगुने बढ़ गए हैं। आयोग ने इस साल 27 फरवरी से 22 मार्च के बीच और लॉकडाउन के दौरान 23 मार्च से 16 अप्रैल के बीच मिली शिकायतों की तुलना के बाद आंकड़े जारी किए हैं।
इसके मुताबिक, बंद से पहले आयोग को घरेलू हिंसा की 123 शिकायतें मिली थीं जबकि लॉकडाउन के दौरान ऑनलाइन व अन्य माध्यम से घरेलू उत्पीड़न के 239 मामले दर्ज कराए गए।
सम्मान की लड़ाई: इसके बाद सबसे ज्यादा शिकायतें परिवार में सम्मान के साथ जीने के हर को लेकर आईं। पहले 25 दिनों में 117 महिलाओं ने भेदभाव का आरोप लगाया। वहीं, लॉकडाउन के दौरान 166 महिलाओं/ युवतियों ने समाज व परिवार में सम्मान के साथ जीने का अधिकार दिलाने की बात कही। इसी तरह साइबर अपराध के भी जहां पहले 396 मामले आए वहीं बाद में 587 शिकायतें मिलीं।
दहेज उत्पीड़न के मामले घटे: आयोग के अनुसार, लॉकडाउन के दौरान दहेज उत्पीड़न के मामलों में गिरावट आई। पहले 25 दिनों में 44 मिली थीं। जबकि लॉकडाउन के दौरान 37 मामले सामने आए। *इसी तरह पहले 25 दिनों में छेड़खानी के 25 मामले सामने आए जबकि लॉकडाउन के दौरान 15 शिकायतें मिलीं।
समाधान की जरूरत : कोर्ट लॉकडाउन के दौरान घरेलू हिंसा और बाल उत्पीड़न के मामलों में वृद्धि को दिल्ली उच्च न्यायालय ने शनिवार को चिंताजनक बताया। कोर्ट ने कहा, पूरी दुनिया में महामारी के दौरान घरेलू हिंसा व बाल उत्पीड़न के मामलों में बढ़ोतरी हुई है। समय रहते इसका समाधान जरूरी है।
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