गोवर्धन झडापिया गुजरात के एक वरिष्ठ नेता हैं। वह एक समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बड़े आलोचक रहे हैं। उन्होंने भाजपा में वापसी करके सभी को चौंका दिया। केवल इतना ही नहीं पार्टी ने उन्हें उत्तर प्रदेश का प्रभारी नियुक्त किया है। झडापिया ने 2007 में गुजरात के दंगों के दौरान पार्टी छोड़ दी थी और अपनी पार्टी बनाकर चुनाव लड़ा था लेकिन 2014 में वह वापस पार्टी में शामिल हो गए थे।
झडापिया उन 17 लोगों में शामिल हैं जिन्हें कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने मई में होने वाले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर राज्य प्रभारी नियुक्त किया है। 2002 में हुए गुजरात दंगों के दौरान झडापिया राज्य के गृहमंत्री थे। उनपर आरोप लगा था कि तीन दिनों तक चले सांप्रदायिक दंगों के दौरान उन्होंने सख्त कदम नहीं उठाए। इन दंगों में लगभग 1,000 लोग मारे गए थे जिसमें ज्यादातर मुस्लिम थे। तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा उन्हें गृहमंत्री के पद से हटाने के बाद वह उनके मुखर आलोचक बन गए थे। 2007 में अलग पार्टी बनाकर उन्होंने भाजपा के खिलाफ चुनाव लड़ा था। इसके बाद उन्होंने मोदी के दूसरे आलोचक और पूर्व मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल के साथ हाथ मिला लिया था और अपनी पार्टी का पटेल की पार्टी में विलय कर लिया था।
विश्व हिंदू परिषद् से प्रवीण तोगड़िया के बाहर निकलने के बाद 64 साल के झडापिया नेतृत्व को अपनी महत्ता बताने में सफल रहे। माना जाता है कि हार्दिक पटेल को उकसाने में शक्तिशाली पटेल नेता झडापिया की अहम भूमिका है, जो गुजरात में सत्तारूढ़ भाजपा के लिए बड़ी मुश्किल बनकर उभरा है। गोवर्धन विश्व हिंदू परिषद् में थे और उन्हें प्रवीण तोगड़िया का करीबी माना जाता है।
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