मुस्लिम समाज के कुछ वर्गों से जुड़ी इंस्टेंट ट्रिपल तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) की प्रथा पर रोक लगाने के मकसद से लाए गया बिल पर गुरुवार को लोकसभा में पारित हो गया। इस बिल को लेकर सदन में लंबी बहस हुई। बिल में जरूरी संशोधन को लेकर कांग्रेस और एआईएडीएमके ने सदन से वॉक आउट कर दिया। जिसके बाद वोटिंग हुई और बिल पास हो गया। इस बिल के पक्ष में 245 और विपक्ष में 11 वोट पड़े। वोटिंग पूरी होने के बाद लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने सदन की कार्यवाही शुक्रवार सुबह 11 बजे तक स्थगित कर दिया। तीन तलाक को अपराध घोषित करने वाला यह विधेयक बीते 17 दिसंबर को लोकसभा में पेश किया गया था। इस प्रस्तावित कानून के तहत एक बार में तीन तलाक देना गैरकानूनी और अमान्य होगा और ऐसा करने वाले को तीन साल तक की सजा हो सकती है।
इंस्टेंट ट्रिपल तलाक से जुड़े अध्यादेश की जगह पर लाए गए इस विधेयक पर 27 दिसंबर को सदन में चर्चा कराने को लेकर पिछले हफ्ते सभी दलों में सहमति बनी थी। सरकार ने कुछ दलों के विरोध के मद्देनजर जमानत के प्रावधान सहित कुछ संशोधनों को मंजूरी प्रदान की थी, ताकि दलों में इस बिल को लेकर स्वीकार्यकता बढ़ सके। विधेयक पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस की सुष्मिता देव ने कहा कि उनकी पार्टी इस विधेयक के खिलाफ नहीं है, लेकिन सरकार के ‘मुंह में राम बगल में छूरी’ वाले रुख के विरोध में है।क्योंकि सरकार की मंशा मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिलाने और उनका सशक्तीकरण की नहीं, बल्कि मुस्लिम पुरुषों को दंडित करने की है।
केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने लोकसभा में बताया कि तीन तलाक को सुप्रीम कोर्ट के गैरकानूनी करार दिए जाने के बाद देशभर में 248 मामले सामने आए हैं। हालांकि मीडिया और अन्य रिपोर्ट में ऐसे मामलों की संख्या 477 बताई जा रही है। कानून मंत्री ने यह भी बताया कि केंद्रीय स्तर पर ऐसे मामलों का राज्यवार ब्योरा नहीं रखा जाता, लेकिन प्राप्त जानकारी के अनुसार उत्तर प्रदेश में तीन तलाक के सबसे ज्यादा मामले आए हैं।
कांग्रेस सांसद रंजीत रंजन ने कहा कि कुरान में तलाक के लिए बेहतरीन तरीके बताए गए हैं। महिलाओं को भी समान अधिकार दिए गए हैं। इसके प्रति समाज को जागरूक नहीं किया गया।अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि तीन तलाक सामाजिक कुरीति है, न कि सिर्फ इस्लाम से जुड़ा मामला। सती प्रथा और बाल विवाह को भी इसी तरह खत्म किया गया।
भाजपा सांसद मिनाक्षी लेखी ने कहा कि यह महिला बनाम पुरुष नहीं, बल्कि मानवाधिकार का मामला है। निकाह पूरे समाज के सामने होता है लेकिन एक कॉल या मैसेज से शादी खत्म, यह कैसा कानून है? संसदीय मामलों के मंत्री विजय गोयल ने कहा कि मुस्लिम महिलाएं तीन तलाक के बहाने एक हजार साल से अन्याय सह रही हैं। आज का दिन उनके लिए बड़ा दिन है कि मोदी सरकार तीन तलाक विधेयक को पारित करवाने जा रही है।
शिवसेना के अरविंद सावंत ने कहा कि वो ट्रिपल तलाक का समर्थन करते हैं। लेकिन राम मंदिर के मुद्दे पर भी सरकार को हिम्मत दिखानी चाहिए। सावंत ने लोकसभा में धारा 370 हटाने की भी मांग की। समाजवादी पार्टी के सांसद धर्मेंद्र यादव ने ट्रिपल तलाक बिल में 3 साल के दंड के प्रावधान का विरोध किया, उन्होंने सरकार से सजा का प्रावधान वापस लेने की मांग की। इसके बाद कांग्रेस सहित अन्य दलों ने वॉकआउट कर दिया। बाद में वोटिंग में बिल को पारित कर दिया गया।
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