दिल्ली हाईकोर्ट ने 1984 में हुए सिख विरोधी दंगा मामले के दोषी करार दिए गए सज्जन कुमार की सरेंडर करने की समय बढ़ाने वाली याचिका खारिज कर दी है। सज्जन कुमार ने सरेंडर के लिए दिल्ली हाईकोर्ट से 30 दिन का समय मांगा था। हालांकि कोर्ट ने कहा कि ऐसा ठोस कोई कारण नहीं है कि सरेंडर करने की समयसीमा बढ़ाई जाए। सज्जन कुमार को इसी हफ्ते दिल्ली हाईकोर्ट ने उम्र कैद की सज़ा सुनाई थी। कोर्ट ने उन्हें 31 दिसंबर तक सरेंडर करने का आदेश दिया था। उम्रकैद के अलावा उन पर 5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया था। इसके अलावा बाकी दोषियों को जुर्माने के तौर पर एक-एक लाख रुपये देने होंगे।
ये मामला तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद एक नवंबर 1984 का है। दिल्ली छावनी के राजनगर क्षेत्र में एक परिवार के पांच सदस्यों की हत्या कर दी गई थी। मामले में बाक़ी लोगों को पहले ही दोषी ठहराया जा चुका है। करीब 34 साल बाद 1984 सिख विरोधी दंगों से जुड़े एक मामले में दिल्ली हाईकोर्ट की दो जजों की बेंच ने सोमवार को निचली अदालत के फैसले को पलटते हुए सज्जन कुमार को दंगे के लिए दोषी माना और उम्रकैद की सजा दे दी। उनको आपराधिक षडयंत्र रचने, हिंसा कराने और दंगा भड़काने का दोषी पाया गया है। इस मामले में कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को पहले निचली अदालत ने बरी कर दिया था।
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