केंद्र ने मौत की सजा के लिए फांसी को सबसे बेहतर तरीका बताया है। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में केंद्र ने कहा है कि फांसी मौत के दूसरे तरीकों से ज्यादा भरोसेमंद और कम तकलीफदेह है। सरकार ने ये हलफनामा ऋषि मल्होत्रा नाम के वकील की याचिका के जवाब में दाखिल किया है। इस याचिका में फांसी को मौत का क्रूर और अमानवीय तरीका बताया गया है। याचिकाकर्ता के मुताबिक फांसी की प्रक्रिया बहुत लंबी है।
मौत सुनिश्चित करने के लिए फांसी के बाद भी सजा पाने वाले को आधे घंटे तक लटकाए रखा जाता है। मल्होत्रा ने कहा था कि दुनिया के कई देश फांसी का इस्तेमाल बंद कर चुके हैं। भारत में भी ऐसा होना चाहिए। याचिकाकर्ता ने मौत के लिए घातक इंजेक्शन देने, गोली मारने या इलेक्ट्रिक चेयर का इस्तेमाल जैसे तरीके अपनाने का सुझाव दिया था।
सरकार ने कहा है कि फांसी इन आधुनिक तरीकों से बेहतर है। लॉ कमीशन की रिपोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के कुछ फैसलों में शांति से मौत को जीवन के अधिकार का हिस्सा बताया गया है। फांसी दूसरे तरीकों के मुकाबले इस कसौटी पर ज़्यादा खरा उतरती है। सरकार का कहना है कि ऐसा देखा गया है कि जहर के इंजेक्शन से कई बार मौत में देरी होती है।
सरकार ने आगे कहा है कि अमेरिका जैसे विकसित देश में भी कई बार मौत की सज़ा में सिर्फ इसलिए देरी होती है कि इस काम में इस्तेमाल होने वाली दवा उपलब्ध नहीं होती। दवा कंपनियां मौत के लिए दवा देने से मना कर देती हैं।
गोली मार कर जान लेने को भी केंद्र ने अव्यवहारिक तरीका बताया है। सरकार का कहना है कि तीनों सेनाओं में इस तरीके की इजाज़त है, लेकिन वहां भी ज़्यादातर फांसी के ज़रिए ही मौत की सज़ा दी जाती है। सरकार के मुताबिक ऐसे दस्ते को बनाना मुश्किल है जो गोली मार कर किसी की जान लेना चाहे। विदेशों में कई बार ऐसा देखा गया है कि निशाना जब दिल पर नहीं लगता तो सज़ायाफ्ता तड़प तड़प कर मरता है। इस लिहाज़ से ये बेहद क्रूर तरीका है।
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