पूरे देश में निर्माण परियोजनाओं के लिए पकी हुई ईंटों का इस्तेमाल बंद हो सकता है। जल्द ही मोदी सरकार पर्यावरण के अनुकूल उत्पाद को बढ़ावा देने के लिए यह अहम फैसला ले सकती है। इस बाबत केन्द्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय ने केन्द्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) को निर्देश दिया है कि वह इस बात को देखे कि क्या उसकी निर्माण परियोजनाओं में पकी ईंटों के इस्तेमाल पर रोक लगाई जा सकती है मंत्रालय के निर्देश पर सीपीडब्ल्यूडी ने अपने अधिकारियों से इस पर राय मांगी है और 11दिसंबर तक रिपोर्ट पेश करने को कहा है।
मंत्रालय से जुड़े हुए एक अधिकारी ने बताया कि बेकार समान से पर्यावरण अनुकूल ईंट बनाने की अनेक तकनीक मौजूद हैं। पर्यावरण अनुकूल उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए मंत्रालय ने सीपीडब्ल्यूडी से कहा है कि वह इस बात को देखे कि क्या उसके निर्माण कार्य में पकी हुई ईंट के इस्तेमाल पर रोक लगाई जा सकती है। गौरतलब है कि ईंट-भट्ठे से वायु प्रदूषण फैलता है क्योंकि ईंटों के निर्माण में कोयले का इस्तेमाल होता है।
इस वर्ष अक्टूबर में उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त ईपीसीए ने एनसीआर राज्यों पर यह सुनिश्चित करने के लिए जोर डाला था कि सभी ईंट-भट्ठों में पर्यावरण एवं वन मंत्रालय द्वारा सुझाई गई ‘जिग-जैग’ तकनीक अपनाई जाए। इससे उत्सर्जन 80 प्रतिशत तक कम होगा। इसी साल अप्रैल में राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने दिल्ली और पड़ोसी राज्यों पर उस अपील के संबंध में जवाब दाखिल न करने के लिए नाराजगी जाहिर की थी जिसमें आरोप लगाया गया था कि ईंट भट्ठों के अवैध परिचालन का नतीजा राष्ट्रीय राजधानी में अत्यधिक वायु और जल प्रदूषण के रूप में सामने आया है।
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