देश में बने लड़ाकू क्षमता वाले ड्रोन विमान रुस्तम-2 का परीक्षण रविवार को सफल रहा। रुस्तम-2 ने कर्नाटक के चित्रदुर्गा में बने एयरोनॉटिकल टेस्ट रेंज (एटीआर) में पहली उड़ान भरी। इसे डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (डीआरडीओ) ने बनाया है। डीआरडीओ अफसरों के मुताबिक, टेस्ट में रुस्तम-2 सभी मानकों पर खरा उतरा। यह अमेरिकी प्रिडेटर ड्रोन की तरह काम करेगा। अभी तक भारत को इसके लिए अमेरिकी और इजरायली ड्रोन पर निर्भर रहना होता था।
रुस्तम-2 का नाम पूर्व वैज्ञानिक रुस्तम दमानिया के नाम पर रखा गया है। 80 के दशक में रुस्तम दमानिया ने एविएशन की दुनिया में जो रिसर्च की, उससे देश को बहुत फायदा हुआ था। इस स्वदेशी विमान की सबसे बड़ी खासियत ये है कि ये कम ऊंचाई पर उड़ते हुए भी दुश्मन को निशाना बना सकता है। रुस्तम द्वितीय को सैन्य मकसद के लिए तैयार किया गया है। रुस्तम-2 से सैन्य मिशन जैसे टोह, निगरानी, लक्ष्य की पहचान, संचार रिले, नष्ट हुई क्षमता का आकलन और सिग्नल इंटेलीजेंस में प्रयोग किया जा सकेगा।
रुस्तम-2 करीब 250 किग्रा वजनी है। इसमें 3-ब्लेडेड एनपीओ सेटरन इंजन लगा है। यह 350 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ सकता है। इसमें एक सिंथेटिक अपर्चर रडार, इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस, कम्युनिकेशन इंटेलिजेंस, अवेयरनेस पेलोड, मीडियम और लॉन्ग रेंज इलेक्ट्रो ऑप्टिक लगे हुए हैं। रुस्तम-2 किसी मिशन पर मेन्युअल और ऑटोनाॅमस मोड पर उड़ान भर सकता है। रुस्तम-2 के प्रोजेक्ट के लिए 2011 में महज 1540 कराेड़ रुपए मंजूर किए गए थे।
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