दहेज प्रताड़ना की हर साल 10 हजार से ज्यादा शिकायतें झूठी पाई जाती हैं। हर साल 90 हजार से 1 लाख केस में इन्वेस्टिगेशन किया जाता है। दहेज प्रताड़ना के झूठे मामले इतने बढ़ चुके हैं कि सुप्रीम कोर्ट इसका मिसयूज रोकने के लिए नए दिशा-निर्देश तक जारी कर चुका है। इंडियन पेनल कोड के सेक्शन 498A का इस्तेमाल कर दहेज के कई झूठे केस दर्ज करवा दिए जाते हैं। आज हम बता रहे हैं कोर्ट के नए डायरेक्शंस क्या हैं, और कोई आप पर झूठा केस कर दे तो आप कैसे बच सकते हैं। इस तरह के केस में कोई शिकायत करता है तो सत्यता की जांच किए बिना गिरफ्तारी नहीं की जा सकती।
इन मामलों में पड़ताल पुलिस नहीं करती बल्कि परिवार कल्याण समिति करती है। समिति में 3 लोग होते हैं। समिति की रिपोर्ट आने तक पुलिस को गिरफ्तारी जैसी कार्रवाई नहीं करनी है।
यह समिति हर जिले में डिस्ट्रिक्ट लीगल सर्विसेस अथॉरिटीस द्वारा बनाई जाती हैं। समय-समय पर इन समितियों का रीव्यू होता है।
इस समिति में लीगल वॉलेंटियर्स, सोशल वर्कर्स, रिटायर्ड पर्सन, वर्किंग ऑफिसर्स की वाइव्स आदि शामिल किए जा सकते हैं। कमेटी मेम्बर्स विटनेस को नहीं बुला सकते।
शिकायतकर्ता के साथ ही पुलिस और वकील पर भी दर्ज हो सकता है केस
कमेटी दोनों पार्टीज से कम्यूनिकेशन कर सकती है। कमेटी अपनी रिपोर्ट जांच अधिकारी को सौंपती हैं। कमेटी की रिपोर्ट मिलने से पहले जनरली गिरफ्तारी की कार्रवाई नहीं होती। हालांकि शिकायत की जांच कर रहे अधिकारी को यह तय करना है कि वह इस समिति की रिपोर्ट को मानें या नहीं।
ऐसे केस में विदेश में रहने वालों का पासपोर्ट भी सीधे जब्त नहीं किया जा सकता। 498-ए किसी महिला पर पति या रिश्तेदारों द्वारा हिंसा करने से बचाने वाला
कानून है। किसी महिला को शारीरिक या मानिसक तौर पर नुकसान पहुंचाना भी क्रूरता में आता है।
दहेज प्रताड़ना का झूठा केस किसी पर लगाया जाता है तो संबंधित व्यक्ति शिकायतकर्ता के साथ ही पुलिस और वकील पर भी केस कर सकता है।
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