समय न्यूज़ 24 डेस्क
बाबा रामदेव की कोरोना को खत्म करने का दावा करने वाली भ्रामक दवाई पर अब झारखंड में भी रोक लगा दी गयी है. आज स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने स्वास्थ्य विभाग को इस आशय में आदेश दिया है. इससे पहले देश के कुछ अन्य राज्यों ने भी बाबा रामदेव की करूणा की दवाई पर पूर्ण पाबंदी लगा दी थी.
केंद्रीय आयुष मंत्रालय ने भी विज्ञापन पर लगाई है रोक
पतंजलि आयुर्वेद की कोरोना दवा पर आयुष मंत्री श्रीपद नाइक ने गुरुवार को कहा कि पतंजलि को फाइनल अप्रूवल से पहले दवा का प्रचार नहीं करना चाहिए था। हमने उनसे प्रोसेस पूरा करने को कहा था, उन्होंने हमें एप्लिकेशन भेज दी है। इस बारे में जल्द फैसला लेंगे। रामदेव ने मंगलवार को कोरोना की दवा बनाने का दावा किया था। कोरोनिल और श्वसारि नाम की दवा लॉन्च करते हुए रामदेव ने कहा था कि इनसे सिर्फ 7 दिन में मरीज 100% ठीक हो जाएंगे। सरकार ने दवा की लॉन्चिंग के पांच घंटे बाद विज्ञापन पर रोक लगा दी।
सरकार ने कहा- नहीं हुई है दवा की वैज्ञानिक जांच
सरकार ने कहा कि दवा की वैज्ञानिक जांच नहीं हुई है। आयुष मंत्रालय ने दवा के लाइसेंस समेत दवा में इस्तेमाल सामग्री, दवा पर रिसर्च की जगहों, अस्पतालों, प्रोटोकॉल, सैंपल का आकार, इंस्टीट्यूशनल एथिक्स कमेटी क्लीयरेंस, क्लीनिकल ट्रायल रजिस्ट्रेशन और ट्रायल के परिणाम का डेटा मांगा। उधर, उत्तराखंड आयुर्वेद डिपार्टमेंट के लाइसेंस ऑफिसर ने बुधवार को कहा कि पतंजलि की एप्लीकेशन के अनुसार, हमने उन्हें लाइसेंस दिया था। इसमें उन्होंने कोरोनावायरस का का जिक्र नहीं किया। हमने उन्हें इम्युनिटी बूस्टर, खांसी और बुखार के लिए लाइसेंस की मंजूरी दी थी। हम उन्हें नोटिस जारी कर पूछेंगे कि उन्होंने कोविड-19 की किट के लिए मंजूरी कहां से ली है।
कोरोनिल का क्लीनिकल ट्रायल करने वाले निम्स चेयरमैन पलटे, बोले- रामदेव जानें, कोरोना की दवा का कोई भी क्लीनिकल ट्रायल नहीं किया, कैसे बनाई दवा :
पतंजलि के साथ कोरोना की दवा का क्लीनिकल ट्रायल करने वाले निम्स विश्वविद्यालय के मालिक और चेयरमैन बीएस तोमर पलट गए हैं. उन्होंने कहा है कि हमने अपने अस्पतालों में कोरोना की दवा का कोई भी क्लीनिकल ट्रायल नहीं किया है. बीएस तोमर ने कहा कि हमने इम्यूनिटी बूस्टर के रूप में अश्वगंधा, गिलोय और तुलसी दिया था. मैं नहीं जानता कि योग गुरु रामदेव ने इसे कोरोना का शत प्रतिशत इलाज करने वाला कैसे बता दिया.
इस पूरे मामले में हैरत की बात यह है कि 20 मई को निम्स विश्वविद्यालय ने सीटीआरआई से औषधियों के इम्यूनिटी टेस्टिंग के लिए इजाजत ली थी. 23 मई को ही ट्रायल शुरू किया गया और 23 जून को योग गुरु रामदेव के साथ मिलकर एक महीने के अंदर ही लोगों के सामने दवा पेश कर दी गई. निम्स के चेयरमैन का कहना है कि हमारी फाइंडिंग अभी 2 दिन पहले ही आई थी. मगर योग गुरु रामदेव ने दवा कैसे बनाई है वह वही बता सकते हैं, मैं इस बारे में कुछ नहीं जानता हूं.
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