समय न्यूज़ 24 डेस्क मुम्बई
फिल्म जगत की मशहूर कोरियोग्राफर सरोज खान का कार्डियक अरेस्ट के चलते मुंबई में निधन हो गया. वे बीते कुछ दिनों से अस्वस्थ चल रही थीं, उन्होंने बांद्रा स्थित एक अस्पताल में अंतिम सासें लीं.देर रात उनकी तबीयत ज्यादा बिगड़ गई और शुक्रवार को उनका निधन हो गया. उनका कोविड-19टेस्ट निगेटिव आया है. वे 71साल की थीं. सरोज खान को गुरु नानक हॉस्पिटल में सांस की तकलीफ के चलते 20जून को भर्ती कराया गया था. अस्पताल में भर्ती होने से पहले उनका कोविड टेस्ट कराया गया था, जो निगेटिव आया. सरोज खान के परिवार से जुड़े एक सूत्र ने दावा किया था कि उनका स्वास्थ्य धीरे-धीरे बेहतर हो रहा था. जल्द ही उन्हें डिस्चार्ज कर दिया जाएगा. लेकिन अचानक देर रात उनकी तबीयत बिगड़ गई और उन्हें बचाया नहीं जा सका. सरोज खान का अंतिम संस्कार शुक्रवार को मुंबई स्थित मलाड के मालवाणी में होगा.
चार दशक का लंबा कैरियर, कई नेशनल अवार्ड मिला
चार दशक के लंबे करियर में सरोज खान को 2,000से ज्यादा गानों की कोरियोग्राफी करने का श्रेय हासिल है. सरोज खान को अपनी कोरियोग्राफी की कला के चलते 3बार नेशनल अवॉर्ड मिल चुका था. संजय लीला भंसाली की फिल्म देवदास में डोला-रे-डोला गाने की कोरियोग्राफी के लिए उन्हें नेशनल अवॉर्ड मिला था.
माधुरी दीक्षित की फिल्म तेजाब के यादगार आइटम सॉन्ग एक-दो-तीन और साल 2007में आई फिल्म जब वी मेट के सॉन्ग ये इश्क... के लिए भी उन्हें नेशनल अवॉर्ड मिला था.
सरोज खान ने आखिरी बार करण जौहर के प्रोडक्शन हाउस के तले बनी फिल्म कलंक में तबाह हो गए गाने गाने को कोरियोग्राफ किया था. इस गाने में माधुरी दीक्षित नजर आई थीं. यह फिल्म 2019में रिलीज हुई थी.
13वर्ष की उम्र में कर ली थी शादी
1950के दशक के मशहूर कोरियाग्राफर बी. सोहनलाल के साथ ट्रेनिंग ली थी और बाद में इन्हीं के साथ शादी कर ली. बी. सोहन लाल से सरोज से 30साल बड़े थे. शादी के दौरान सरोज खान 13साल की थी. इतना ही नहीं, शादी से पहले सरोज ने इस्लाम धर्म भी कबूल किया. उनका असली नाम निर्मला नागपाल था.
सरोज खान ने अपनी शादी को लेकर कहा था कि शादी के दौरान वह स्कूल में पढ़ती थी और सोहनलाल उनके डांस मास्टर थे. उन्होंने उनके गले में काला धागा बांध दिया, जिसे शादी मान लिया गया. सोहनलाल पहले से ही शादीशुदा थे और सरोज उनकी दूसरी पत्नी थी, लेकिन सरोज को ये बात बच्चे पैदा होने के बाद पता चली. सोहनलाल ने इन बच्चों को अपना नाम देने से इनकार कर दिया. इसके बाद दोनों अलग हो गए.
काफी कठिनाई से मुकाम हासिल किया
साल 1963में सरोज खान ने एक बेटे को जन्म दिया, जिसका नाम राजू खान रखा गया. इसके दो साल बाद यानी 1965में उन्होंने दूसरे बच्चे को जन्म दिया लेकिन आठ महीने बाद ही मौत हो गई.
अलग होने के बाद सरोज खान ने मजबूती के साथ कई तरह की कठिनाइयों का सामना किया. सरोज खान ने पहली बार साल 1974 में रिलीज हुई फिल्म 'गीता मेरा नाम' के गानों को कोरियाोग्राफ किया. इसके बाद उन्होंने कई मुकाम हासिल किए. उन्हें भारत में मदर्स ऑफ डांस/कोरियाग्राफी की मां कहा जाने लगा. उन्होंने साल 1986 में आई फिल्म 'नगीना', 1987 में आई 'मि. इंडिया', साल 1988 में आई 'तेजाब', साल 1989 में आई 'चांदनी' सहित कई बेहतरीन फिल्मों के सॉन्ग की कोरियोग्राफी के लिए अवार्ड और सम्मान मिला.
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