डायबिटीज के बढ़ते प्रभाव और उसके इलाज में लगातार हो रहे बदलाव पर शनिवार को रिसर्च सोसाइटी फॉर स्टडी ऑफ डाइबिटीज इन इंडिया (आरएसएसडीआई) झारखंड चैप्टर ने सीएमई की आयोजन किया गया था। सरायढेला में आयोजित इस सीएमई में राज्य के विभिन्न जिलों के डॉक्टर शामिल हुए। इसकी अध्यक्षता आरएसएसडीआई झारखंड के अध्यक्ष डॉ एनके सिंह ने की।
सीएमई में डॉ सिंह ने शुगर मनेंजमेंट पर व्याख्यान दिया। कहा कि रक्त में शुगर की मात्रा सामान्य से घट जाना (हाईपोग्यासिमिया) डायबिटीज मैनेजमेंट की बड़ी समस्या है। यह जानलेवा हो सकती है। इसकी जानकारी मरीजों को देना जरूरी है। रक्त में शुगर की मात्रा 70 एमजी से कम होने पर मरीज को बेचैनी, हाथ में कंपन, धड़कन तेज होना, पसीना आना, सिर में दर्द, आंखों में धुंधलापन आदि समस्या होने लगती है। शुगर 54 एमजी से कम होने पर बेहोशी हो सकती है और दिमाग की कोशिकाओं पर इसका स्थायी प्रभाव पड़ने लगाता है। ऐसे में मरीज को तुंरत चार चम्मच ग्लूकोज (15 ग्राम) लेनी चाहिए। इसके स्थान पर 15 एमएल मधु या 300 एमजी की तीन ग्जूकोज की गोली भी ली जा सकती है। डॉ सिंह ने डायबिटीज से जुड़ी कई अन्य जानकारियां और नए रिसर्च डॉक्टरों के साथ साझा किया।
बोकारो से आए डॉ सुधीर कुमार ने अपने व्याख्यान में डायबिटीज मरीजों के हार्ट और किडनी को बचाने के उपायों पर चर्चा की। डॉ विजनय धानधानिया ने डायबिटीज में संक्रमण की समस्या पर चर्चा करते हुए इससे बचाव के तरीकों के बारे में डॉक्टरों को बताया।
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