राजगंज: करोड़ों की लागत से बने राजगंज के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को खुद इलाज की जरूरत है। कहने के लिए तो इस अस्पताल में मरीजों के इलाज के लिए डॉक्टर कुलदीप तिर्की की प्रतिनियुक्ति है, लेकिन वे सप्ताह में मात्र तीन दिन ही अस्पताल आते हैं। अक्सर हाजिरी बनाकर गायब हो जाते हैं। ऐसी स्थिति में मरीजों के इलाज की जिम्मेदारी एक कंपाउंडर व स्वास्थ्यकर्मियों के भरोसे ही है। समुचित दवा भी यहां उपलब्ध नहीं है।नहीं मिला स्वास्थ्यकर्मी, खाली मिलीं कुर्सियां: इस केंद्र में 12चिकित्सा यूनिट हैं। सोमवार को दो ही यूनिट (ओपीडी-1व दवा वितरण केंद्र) खुली थी। दोनों यूनिट में कोई स्वास्थ्य कर्मी नही मिला। कुर्सियां खाली थीं। ओपीडी -2, लेबोरेट्री, प्रसव रूम, महिला व पुरुष वार्ड, ड्रे¨सग रूम, टीकाकरण के दो यूनिट बंद मिले। स्वास्थ्य केंद्र में चिकित्सक सहित कुल नौ कर्मी नियुक्त हैं। इनमें से कई हाजिरी बनाकर निकल जाते हैं। बाकी डयूटी के वक्त बाजार में रहते हैं। सभी सुविधाओं से लैस राजगंज का प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मजदूर, गरीब के समुचित इलाज के मकसद से ही बनाया गया था। राजगंज सहित सुदूर ग्रामीण इलाके के गरीबों के लिए यह अस्पताल मंदिर की तरह साबित होता, लेकिन समुचित व्यवस्था के अभाव में यह अस्पताल अपने औचित्य को सार्थक नहीं कर पा रहा।
अस्पताल में इनको देनी है सेवा: अस्पताल में डॉ. कुलदीप तिर्की, लैब के शहीद अंसारी, कंपाउंडर नरेश यादव, एएनएम बुलबुल कौर व रेणु कुमारी, स्वास्थ्य प्रशिक्षक अनिल कुमार ¨सह, क्लर्क रवींद्र कुमार, चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी निवारण पांडेय व सुरेश कुम्हार को सेवा देनी है। दो एएनएम सप्ताह में तीन दिन गांवों में जाती हैं।
निर्माण कार्य में बरती गई अनियमितता: यहां हुए निर्माण कार्य में काफी अनियमितता बरती गई है। नए अस्पताल भवन व स्टाफ क्वार्टर निर्माण में न शिलान्यास का बोर्ड लगा है, ना ही उद्घाटन का शिलापट। कुछ माह पूर्व टुंडी विधायक राजकिशोर महतो ने इस स्वास्थ्य केंद्र का फीता काटकर उद्घाटन किया था। कुछ ही माह के बाद राजगंज प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के मुख्य द्वार पर दरार पड़ गई।
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