समय न्यूज़ 24 डेस्क मुम्बई
बीसीसीएल के सीएमडी पीएम प्रसाद ने सभी श्रमिक संगठनों से अनुरोध किया है कि वर्तमान में कोविड-19सहित अन्य विकट परिस्थितियों को देखते हुए शुक्रवार से हड़ताल में भाग न ले
धनबादकोयला उद्योग में कॉमर्शियल माइनिंग के विरोध में केंद्रीय श्रमिक संगठनों की तीन दिवसीय हड़ताल दूसरे दिन में प्रवेश कर गया है। शुक्रवार को दूसरे दिन भी हड़ताल का असर दिख रहा है। धनबाद कोयलांचल में बीसीसीएल और ईसीएल की खदानों में काम-काज प्रभावित है। इससे पहले गुरुवार को पहले दिन हड़ताल असरदार रही। बीसीसीएल समेत कोल इंडिया की सहयोगी इकाइयों में खासा असर रहा। डब्ल्यूसीएल में सर्वाधिक, तो ईसीएल में आंशिक असर देखा गया। कोल इंडिया स्तर पर 28.73फीसद कर्मचारी ही उपस्थित रहे।
कोलकाता स्थित कोल इंडिया मुख्यालय में अन्य दिनों की अपेक्षा अधिक कर्मचारी मौजूद रहे। बीसीसीएल मुख्यालय कोयला भवन में 90फीसद कर्मचारी उपस्थित रहे और कामकाज सामान्य दिनों की तरह चला।
बीसीसीएल में स्थिति : बीसीसीएल में पहले दिन हड़ताल के कारण 6200टन कोयला उत्पादन हुआ। ओबी का उत्पादन 42042टन हुआ। इस दौरान 11,287टन कोयला डिस्पैच किया गया। बीसीसीएल में 23आउटसोर्सिंग कंपनियां कार्यरत हैैं। इनमें 19से उत्पादन हो रहा है। इनमें 10से उत्पादन हुआ। हालांकि वहां भी उत्पादन प्रभावित होता रहा।
सीएमडी ने की अपील अब न करें हड़ताल
बीसीसीएल के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक निदेशक पीएम प्रसाद ने सभी श्रमिक संगठनों से अनुरोध किया है कि वर्तमान में कोविड-19सहित अन्य विकट परिस्थितियों को देखते हुए शुक्रवार से हड़ताल में भाग न लें। उन्होंने वर्चुअल बैठक में कहा कि कोरोना के कारण कंपनी की स्थिति पहले ही खराब है। इसका सीधा असर कर्मियों के वेतन पर भी पड़ रहा है। इसलिए कोल इंडिया की ओर से दिए गए लक्ष्य को पूरा करने के लिए हम सभी को एकजुट होना होगा। हड़ताल से लक्ष्य पाने के बजाय बीसीसीएल और पीछे चली जाएगी, जिसकी भरपाई संभव नहीं हो पाएगी। इसलिए श्रमिक संघों के प्रतिनिधियों एवं उनके अनुयायी कर्मचारियों से अपील करते हैं कि कंपनी की स्थिति को देखते हुए हड़ताल के निर्णय पर पुनर्विचार करते हुए अपने-अपने कार्यों पर योगदान दें।
सीएमडी ने बताया कि हड़ताल का डिपार्टमेंटल उत्पादन में असर देखा गया। प्रावधानों के अनुसार कोयला उद्योग को लोक उपयोगी सेवा घोषित किया गया है। लिहाजा कोल इंडिया एवं इसकी सहयोगी कंपनियों में हड़ताल गैरकानूनी होगी। इसमें भाग लेने की स्थिति में काम नहीं तो वेतन नहीं लागू होगा। मजदूरी भुगतान अधिनियम- 1936 के तहत आठ दिनों की वेतन कटौती का भी प्रावधान है। बीसीसीएल प्रबंधन की ओर से श्रमिक संघों के प्रतिनिधियों एवं उनके अनुयायी कर्मचारियों से अपील है कि हड़ताल में भाग न लें।
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