एनडीए में सीट शेयरिंग को लेकर बड़ी रार के बीच एक बड़ी खबर ये आ रही है कि उपेन्द्र कुशवाहा ने एनडीए छोड़ने का फैसला कर लिया है। इसकी घोषणा वे दिसंबर के पहले हफ्ते में करेंगे। ऐसा माना जा रहा है कि वाल्मीकिनगर में छह दिसंबर को होने वाली राष्ट्रीय लोक समता पार्टी की बैठक के बाद कुशवाहा खुद इस बात का ऐलान कर देंगे। इसकी पुष्टि इस बात से भी होती है कि आज मुंगेर में उन्होंने ऐलान कर दिया है कि अपमान के साथ वे एनडीए में नहीं बने रह सकते।
दरअसल उपेन्द्र कुशवाहा एनडीए से अलग होंगे ये बात तभी तय हो चुकी थी जब 20 नवंबर को बीजेपी के बिहार प्रभारी भूपेन्द्र यादव बिहार आए थे। भूपेन्द्र यादव ने कुशवाहा के 30 नवंबर के अल्टीमेटम को ही खारिज कर दिया था। बताया जा रहा है कि इसके बाद से ही कुशवाहा ने अपनी फाइनल रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया था। अब तो उन्होंने ये भी साफ कर दिया है कि सीट शेयरिंग को लेकर वे बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से नहीं मिलेंगे। हालांकि प्रधानमंत्री मोदी से मिलने की बात वे जरूर कह रहे हैं, लेकिन माना जा रहा है कि ये सिर्फ कहने भर के लिए ही है।
दरअसल उपेन्द्र कुशवाहा दो बड़ी रणनीति पर काम कर रहे हैं। एक तो ये कि वे एनडीए से सीटों की बारगेनिंग को इस स्थिति में ले आए हैं जहां बात बिगड़ ही जाएगी। ऐसा होता है तो वे अपने कार्यकर्ताओं के बीच यह कह पाने में सहज होंगे कि उन्होंने आखिर तक कोशिश की लेकिन एनडीए ने उनकी ‘कुर्बानी’ ले ली। जाहिर है सीट शेयरिंग के लिए बीजेपी को 30 नवंबर तक का अल्टीमेटम दिया जाना इसी रणनीति का हिस्सा भर है। एनडीए के ‘शहीद’ दिखने के साथ ही वे अंदरखाने दूसरी रणनीति पर भी काम कर रहे हैं।
अब लगभग ये बात साफ हो चुकी है कि शरद यादव की पार्टी लोकतांत्रिक जनता दल (एलजेडी) की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी में विलय की पूरी तैयारी कर चुके हैं। विलय की घोषणा एक से छह दिसंबर के बीच किसी भी दिन हो सकती है। इसके तुरंत बाद वे महागठबंधन में शामिल होने की भी घोषणा कर देंगे।
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