राज्य के 18जिलों के 129प्रखंड को सूखाग्रस्त घोषित कर दिया गया है। राज्य गृह आपदा प्रबंधन विभाग ने इससे संबंधित अधिसूचना रविवार को जारी कर केंद्र को रिपोर्ट भेज दी है। अधिसूचना जारी करने के लिए मंत्रिमंडल के अनुमोदन की आवश्यकता होती है। विशेष परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए मंत्रिमंडल के अनुमोदन की प्रत्याशा में मुख्यमंत्री के अनुमोदन के बाद केंद्र को रिपोर्ट भेजी गई है। केंद्रीय सहायता के लिए निर्धारित अवधि में क्षेत्र भ्रमण के लिए केंद्रीय टीम भेजने का आग्रह केंद्र सरकार से किया गया है। केंद्र से भी इसे सूखाग्रस्त घोषित करने और सहायता देने का अनुरोध किया गया है।
राहत आपदा कोष से लोगों को मिल सकेगा कुछ लाभ
ये तस्वीर कोडरमा जिले की है। यहां वर्षा 54%कम रही थी,जबकि धनरोपनी में 50%नुकसान हुआ था। इस वर्ष राज्य के 15.27लाख हेक्टेयर में धान की खेती हुई थी, जिसमें वर्षा के अभाव में 40%फसल बर्बाद हो गई थी। राज्य सरकार द्वारा सूखाग्रस्त घोषित किए जाने से फसल बीमा की राशि तुरंत मिलने और पेयजल जानवरों के चारा आदि के लिए जिलों के राहत आपदा कोष से लोगों को तत्काल कुछ लाभ मिल सकेगा। केंद्रीय टीम के लौटने के बाद केंद्र सरकार द्वारा सुखाड़ मुआवजा राज्य को उपलब्ध होगा। देरी से मानसून आने, अनियमित वर्षा तथा धान के कवरेज की स्थिति पर विचार के लिए 25अक्टूबर को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बैठक की गई थी। जिसमें संभावित सुखाड़ की समीक्षा कर आगे की कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया था।
राज्य सरकार द्वारा सूखाग्रस्त घोषित किए जाने से फसल बीमा की राशि तुरंत मिलेगी। पेयजल और जानवरों के चारा आदि के लिए जिलों के राहत आपदा कोष से किसानों को तत्काल कुछ लाभ मिल सकेगा। फसल बीमा का भुगतान भी जल्द हो सकेगा। केंद्रीय टीम द्वारा जांच करने के बाद केंद्र सरकार द्वारा राहत सुखाड़ मुआवजा राज्य को अतिरिक्त मिलेगा। वैसे आपदा प्रबंधन ने जिलों को 49करोड़ रुपए भेज दिए हैं। जिलों में ड्रॉट मॉनिटरिंग सेंटर की भी स्थापना की गई है।
18जिले सूखा घोषित
पलामू, जामताड़ा, पाकुड़, धनबाद, गोड्डा, बोकारो, कोडरमा, खूंटी, रामगढ़, गढ़वा, लातेहार, देवघर, गिरिडीह, रांची, लोहरदगा, साहेबगंज, चतरा और दुमका।
आपदा विभाग की अधिसूचना में कहा गया है कि झारखंड में सामान्य परिस्थिति में 15 जुलाई तक धान की 80% और 31 जुलाई तक शत-प्रतिशत रोपाई हो जाती है। 31 जुलाई के बाद होने वाली रोपाई लेट की श्रेणी में आती है। ऐसे में उपज पर असर होता है। इस साल 31 जुलाई तक सभी फसलों का कवरेज मात्र 41.95% एवं धान का कवरेज 33.7% था। जबकि धान का कवरेज 31 जुलाई तक होना चाहिए था। जून में बारिश सामान्य से 32.97% कम हुई। जुलाई में 1 से 15 के बीच 53.6% कम वर्षा हुई। यही समय धान की बुआई-रोपाई के लिए उपयुक्त था। बारिश कम होने से इसपर विपरीत प्रभाव पड़ा। जुलाई-अगस्त एवं सितंबर में 18 जिलों में 1 या इससेे ज्यादा अवधि में सूखा रहा। सितंबर में 56.74% वर्षा हुई, यह सामान्य से 43.6% कम है। हथिया नक्षत्र में भी 1.6 मिमी बारिश हुई। इसलिए सूखे की स्थिति उत्पन्न हो गई।
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