रिम्स में हत्यारे डॉक्टरों पर कार्रवाई के बजाय उनपर इनामो की बारिश से इन डॉक्टरों की मनमानी का हौसला और बढ़ गया है. अब ये आम लोगो से लेकर देश की सेवा में लगे जवानो पर भी अपना रौब उतार रहे है. शर्म की बात है की जिन डॉक्टरों को भगवान का रूप माना जाता है. उन्ही डॉक्टरों ने रिम्स को बदनाम करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है.
हड़ताल टूटने के बाद ड्यूटी के दौरान अब इन डॉक्टरों के अहंकार का निशाना बना है सेना का जवान. जिसे पुलिस एसोसिएशन के जवान लातेहार से लेकर पहुंचे थे. लातेहार से आया जवान मनबोध मुखर्जी को सिर में गोली लगी थी, उसे इमरजेंसी में शाम करीब पांच बजे लाया गया. लेकिन वहां कोई न्यूरो सर्जरी के डॉक्टर मौजूद नहीं थे. करीब 20मिनट तक डॉक्टर का इंतजार करने के बाद जवानों का गुस्सा फूट पड़ा. पीजी छात्रों व जवानों के बीच काफी बहस हुई, जिसके बाद आनन-फानन में निदेशक पहुंचे और मामले को शांत कराया गया. मामला शांत होने के बाद भी जवान की जांच करने कोई डॉक्टर नहीं आया तो जवानो ने मजबूरन घायल जवान मनबोध को निजी अस्पताल ले गए. पुलिस एसोसिएशन ने बताया कि कोई डॉक्टर के बारे में बता ही नहीं रहा था. वहां कोई सर्जन तक मौजूद नहीं था. इस बीच पीजी छात्र भी आराम से अपने सीट पर बैठे थे. इस तरह का व्यवहार सभी मरीजों के साथ होता है.
आपको बता दे की शनिवार और रविवार को हुए हिंसक हड़ताल ने रिम्स में भय का माहौल पैदा कर दिया है. हड़ताल के दौरान हत्यारी नर्सो के हिंसा के कारण 23 मरीजों ने अपने जान गंवाई थी. लोग हत्यारे डॉक्टर और नर्सेज के खिलाफ आंदोलन कर इनको बर्खास्त करने की मांग कर रहे थे. मगर सरकार ने इन नर्सो और डॉक्टरों को बर्खास्त करने के बजाय इनपर इनामो की बारिश कर दी. मारपीट के बाद हड़ताल की आड़ में इन नर्सो ने अपनी कई लंबित मांगो को सरकार से बलपूर्वक मनवा लिया. जिनमे से एक मांग इनपर किसी भी प्रकार की करवाई का ना होना भी था. इसके बाद रिम्स की नर्स और डॉक्टर्स मनमानी पर उतर आये है. सरकारी ड्यूटी कर रहे इन डॉक्टरों के मनमानी का हौसला शायद इसीलिए भी इतने ऊपर है क्युकी इनके विभाग के मंत्री ही बेपरवाह है. शनिवार - रविवार को हुए हड़ताल के दौरान बेपरवाह मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी 24 घंटे से अधिक तक हड़ताल में झाँकने तक नहीं पहुंचे थे. पूरा राज्य 23 मौतों के दर्द से कराह रहा था मगर गैर जिम्मेदार मंत्री ने हड़ताली नर्सो और डॉक्टरों से वार्ता करने की जहमत तक नहीं उठायी.
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