रांची : जीइएल चर्च की तर्ज पर छोटानागपुर के चर्च ऑफ नॉर्थ इंडिया (सीएनआइ) भी महिलाओं को पादरी बनाने जा रहा है. इसके साथ ही सीएनआइ का 128साल का इतिहास बदल जायेगा. चर्च ने सिर्फ पुरुषों को ही पादरी बनाने की परंपरा को खत्म करते हुए अब महिलाओं को भी पादरी नियुक्त करने का फैसला किया है. जून में ही सीएनआइ को पहली महिला पादरी मिल सकती है. अंग्रेजी समाचार पत्र टाइम्स ऑफ इंडिया ने सीएनआइ के छोटानागपुर धर्म प्रदेश के बिशप बीबी बास्की के हवाले से यह रिपोर्ट प्रकाशित की है. रिपोर्ट के मुताबिक, अन्य धर्म प्रदेश बहुत पहले ही महिलाओं को पादरी बनने का अधिकार दे चुके हैं. महिलाओं को चर्च की सेवाओं के संचालन का अधिकार भी अन्य धर्म प्रदेशों में मिल चुका है.
अब छोटानागपुर धर्म प्रदेश ने भी सिर्फ पुरुष पादरी की 128साल की परंपरा को खत्म कर महिलाओं को पादरी बनाने का फैसला किया है. बास्की ने उम्मीद जाहिर की कि इसी महीने पहली महिला पादरी की नियुक्ति हो जायेगी. बिशप बास्की सीएनआइ के तहत आने वाले 52इलाकों के मुखिया हैं. सीएनआइ, उत्तर भारत में ईसाइयों के प्रभावी प्रोटेस्टेंट संप्रदाय से जुड़ा है. उत्तर भारत से लेकर झारखंड और ओड़िशा तक इसके चर्च फैले हैं. ज्ञात हो कि वर्ष 1845में रांची में छोटानागपुर धर्म प्रदेश के पहले चर्च की स्थापना हुई थी. इसे गोस्सनर इवैंजलिकल लीथर्न चर्च (जीइएल चर्च) के नाम से जाना जाता है. यहां वर्ष 1995में ही तीन महिलाओं को चर्च का पादरी बनाया जा चुका है. छोटानागपुर परिक्षेत्र में बतौर पादरी महिलाओं की सबसे पहले यहीं पर नियुक्ति हुई थी.
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