रांची, : राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में नर्सों और जूनियर डॉक्टरों की हड़ता की वजह से अस्पताल की एनआइसीयू में भर्ती एक दर्जन मासूम बच्चों की जिंदगी संकट में थी. एनआइसीयू में एक बेड पर दो से तीन मासूम भर्ती थे. किसी को फोटोथेरेपी के माध्यम से इलाज दिया जाता था, तो कोई वेंटिलेटर पर था. इन बच्चों के परिजन उनके साथ तो थे, लेकिन वे खुद को असहाय महसूस कर रहे थे.
वे डॉक्टरों और नर्सों के खिलाफ कुछ बोल भी नहीं सकते थे, क्योंकि उनके एक विरोधपूर्ण आवाज से उनके मरीज का इलाज प्रभावित हाे सकता था. इधर, बेड पर लेटे नवजात बच्चों (इनमें से कोई तीन दिन का था, तो कोई एक सप्ताह का) को देखकर किसी का भी दिल पसीज जाता. मानो ये बच्चे गुहार लगा रहे हों, डॉक्टर अंकलआखिर हमारी क्या गलती है. हमने क्या कसूर किया है कि अाप हमारा इलाज नहीं कर रहे हैं.यहां भर्ती एक महिला को 31मई को एक बेटा हुआ था. हजारीबाग के डॉक्टरों ने उसे बेहतर इलाज के लिए रिम्स भेजा था, लेकिन यहां एक दिन इलाज के बाद हड़ताल हो गयी. इसके बाद उसे सूई देने वाला कोई नहीं था. हालांकि, कुछ डॉक्टर (जिनमें संवेदना बची थी) बच्चों को सूई-दवा देने में लगे हुए थे.
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