राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में शनिवार सुबह सात बजे से नर्स, जूनियर डॉक्टर और पारामेडिकल कर्मी हड़ताल पर चले गए। इस दौरान इमरजेंसी के साथ ओपीडी सेवा ठप करा दी गई। नर्सों ने अतिगंभीर मरीजों को इमरजेंसी में घुसने तक नहीं दिया। दर्जनों मरीज बिना इलाज के लौट गए। हद तो तब हो गई जब इलाज बिना हटिया की नीरू शर्मा ने इमरजेंसी गेट पर दम तोड़ दिया। हड़ताल के दौरान सुबह सात बजे से रात दस बजे तक 13 मरीजों की मौत हो गई। हालांकि, इमरजेंसी के डीआर रजिस्टर में शुक्रवार रात 10 बजे से शनिवार सुबह सात बजे तक 11 मरीज (मौत हड़ताल अवधि से पहले) और सुबह सात बजे से दोपहर दो बजे तक आठ मरीजों की मौत का ब्योरा दर्ज है। कर्मियों ने बताया कि सुबह सात बजे से नर्सों के वार्ड छोड़ देने के कारण कई शव वार्ड में ही पड़े हैं।
दरअसल, रिम्स में शनिवार तड़के तीन बजे मेडिसिन वार्ड में डॉ. उमेश प्रसाद की यूनिट में भर्ती मरीज गीता गुप्ता की मौत के बाद परिजनों और जूनियर डॉक्टर तथा नर्सों में झड़प हो गई। विरोध में नर्स, जूनियर डॉक्टर और पारा मेडिकल स्टाफ हड़ताल पर चले गए।मृतका गीता गुप्ता की बेटी ऋचा ने बताया कि मां की मौत गलत इंजेक्शन से हुई है। जबकि, वार्ड में तैनात नर्स मनोरंजनी बाखला और सुधा सिन्हा ने बताया कि मौत के बाद परिजन उग्र हो गए और वे मारपीट करने लगे। जूनियर डॉक्टरों के साथ भी बदसलूकी की। मारपीट में मनोरंजनी के एप्रन की जेब भी फट गई। जबकि, ऋचा ने बताया कि नर्स को आभास हो गया था कि गलत इंजेक्शन से मौत हो गई है। जिसके बाद वे लोग पर्ची छुपा कर ले जाने लगे। पर्ची छीनने में उसकी जेब फट गई। गीता की दो संतानें हैं। बेटा दिल्ली एयरपोर्ट में काम करता है, जबकि बेटी अविवाहित है। बेटी की शादी जून में तय थी, परंतु पैसे के कारण टल गई।
झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री रामचंद्र चंदवंशी ने कहा कि मानवता के नाते जूनियर डॉक्टर और नर्सें काम पर लौटें। आरोपी परिजनों के खिलाफ प्रशासन कार्रवाई कर रहा है।
हड़ताल से सबसे ज्यादा परेशानी अतिगंभीर मरीजों को हुई। इन्हें इमरजेंसी में घुसने तक नहीं दिया गया। इसके कारण हटिया की एक मरीज की इमरजेंसी गेट पर ही मौत हो गई।.
हड़ताल के कारण दूर-दराज से आए दर्जनों मरीजों को बिना उपचार के लौटना पड़ा। इसमें उनकी जेब भी ढीली हुई। ओपीडी में भी भर्ती मरीजों को परेशानी झेलनी पड़ी।.
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