कर्नाटक में राज्यपाल की ओर से सबसे बड़ी पार्टी को सरकार बनाने का मौका दिए जाने के बाद बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने राज्यपाल सत्यपाल मलिक से मिलकर सरकार बनाने का दावा किया है। इससे पहले आरजेडी ने पटना में राजभवन तक मार्च किया। कांग्रेस ने गोवा में भी सरकार बनाने का दावा पेश किया और राज्यपाल मृदुला सिन्हा को पत्र सौंपकर सदन में बहुमत साबित करने के लिए न्योता देने की मांग की। यही नहीं मणिपुर विधानसभा में विपक्ष के नेता ओ इबोबी सिंह ने भी राज्यपाल से मुलाकात कर सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस को सरकार बनाने के लिए न्यौता देने की मांग की है। मणिपुर में 2017में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान 60सीटों में उनकी पार्टी ने 28पर जीत दर्ज की थी और वह सबसे बड़ी पार्टी है और ऐसे में वह राज्य में सरकार बनाने का दावा पेश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि राज्यपाल ने मणिपुर विधानसभा की 60में से 21सीट जीतने वाली भाजपा को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया था।
इस बीच कांग्रेस ने राष्ट्रपति के समक्ष इस मामले को उठाने को फैसला किया है। राज्यसभा में पार्टी के नेता गुलाम नबी आजाद कर्नाटक विधायकों को लेकर राष्ट्रपति से शनिवार को मुलाकात करेंगे। आजाद आज शाम कर्नाटक से दिल्ली के लिए रवाना होंगे।वहीं गुरुवार शाम को कांग्रेस महासचिव अशोक गहलोत ने प्रदेश कांग्रेस नेताओं को पत्र लिखकर व्यापक स्तर पर कर्नाटक के राज्यपाल के फैसले के खिलाफ प्रदर्शन की अपील की। जयपुर, मणिपुर, गोवा, बेंगलुरु और भोपाल सहित देश भर में कांग्रेस के कार्यकर्ता कर्नाटक मामले पर प्रदर्शन करेंगे।
हालांकि इन राज्यों में सरकार बनाने के सहयोगी दलों के दावे पर सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि गोवा और मणिपुर में चुनाव एक साल से अधिक समय पहले हुए थे, जबकि बिहार में चुनाव 2015में हुए थे। ऐसे में कांग्रेस और राजद के इस कदम को भाजपा को शर्मिंदगी महसूस कराने पर केंद्रित माना जा रहा है। गोवा और मणिपुर में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी, लेकिन वह सरकार नहीं बना पाई थी। बिहार में राष्ट्रीय जनता दल को सबसे ज्यादा सीटें मिली थीं और उसने जनता दल यूनाइटेड के साथ मिलकर सरकार बनाई थी, लेकिन बाद में जनता दल यूनाइटेड और भाजपा एक हो गए और सरकार बना ली।
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