समय न्यूज़ 24 डेस्क धनबाद
हरितालिका तीज पर आज महिलाएं अखंड सुहाग के लिए निर्जला व्रत रखेंगी। पारंपरिक रूप से व्रत पूजन के लेकर गुरुवार को घरों में तैयारी की गई। महिलाओं ने साज-शृंगार और पूजन सामग्री की खरीदारी की। पहली बार व्रत रहने वाली महिलाओं और कन्याओं में ज्यादा उत्साह है। इस अवसर पर व्रती महिलाएं भगवान शिव और पार्वती का विधिविधान से पूजन करेंगी।हर माह की तरह ये माह भी कुछ विशेष त्योहार से भरा हुआ है, दरअसल भाद्रपद माह चल रहा है इस माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरितालिका तीज व्रत रखा जाता है। ये व्रत विशेषकर सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए रखती है। हालांकि कई जगहों पर कुंवारी कन्याएं भी ये व्रत करती हैं।
इस साल यह पर्व 21 अगस्त 2020 को मनाया जा रहा है, वैसे लॉकडाउन के कारण बाजार की रौनक भले ही फीकी पड़ गई हो लेकिन महिलाएं घर में इस पर्व के लिए जोरों सोरों से तैयारी कर रही है। कहा जाता है कि भगवान शिव को पाने के लिए माता पार्वती ने इस व्रत को किया था। यही कारण है कि कुंवारी कन्याएं भी अच्छा पति पाने के लिए यह व्रत रखती है। शास्त्रों के अनुसार बाकी अन्य तीज में हरितालिका तीज को सबसे बड़ा तीज माना गया है।
क्यों करते हैं हरितालिका तीज व्रत
हरितालिका तीज का व्रत महिलाएं सुहाग के लिए और कन्याएं सुयोग्य के लिए रखती हैं । कुछ लोग इसे हरियाली तीज की तरह ही मानते हैं लेकिन ये व्रत सावन की हरियाली तीज से बिल्कुल अलग होता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु और सुयोग्य वर पाने के लिए लड़कियां भी इस व्रत को रखती हैं।जबकि हरतालिका के दिन निर्जला व्रत रखा जाता है। प्रत्येक पहर में भगवान शंकर का पूजन और आरती होती है कई जगह इस दिन पंचामृत भी बनता है। जिसमें घी, दही, शक्कर, दूध, शहद का इस्तेमाल होता है। हरतालिका तीज के दिन सुहागिन महिलाओं को सिंदूर, मेहंदी, बिंदी, चूड़ी, काजल आदि भी दिए जाते हैं।
पूजा का मुहूर्त
21 अगस्त 2020 को मनाया जाने वाला इस पर्व के दिन का शुभ मुहूर्त सुबह 5.54 से 8.30 तक है। 21 अगस्त को 2020 तृतीया तिथि रात 11:03 तक है, इसके बाद चतुर्थी लग जाएगी। सुबह 5 बजकर 54 मिनट से सुबह 8:30 मिनट तक पूजा की जा सकती है।
शाम 6 बजकर 54 मिनट से रात 9 बजकर 6 मिनट तक पूजा की जाएगी।
व्रत पूजन विधान
व्रती महिलाओं को एक पवित्र चौकी पर शुद्ध मिट्टी में गंगाजल मिलाकर शिवलिंग, रिद्धि-सिद्धि सहित गणेश, पार्वती की आकृति बनाकर पूजन करें।
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