धनबाद। एक मई के दिन दुनिया में मजूदर दिवस मनाया जाता है। हेमार्केट नरसंघार में मारे गये निर्दोष लोगों की याद में अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस के रूप में मनाते हैं। कोयलांचल की राजधानी में कोयला मजदूर एक मई की खासियत को नहीं जानते। उन्हें तो अपने और अपने परिवार का पेट पालने से फुर्सत नहीं है।
धनबाद कोलियरी क्षेत्रों में काम करने वाले असंगठित मजदूर जो मजदूरी कर अपने और अपने परिवार का पालनपोषण करते हैं। आज भी इनकी स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है। पर सरकार की तरफ से मजदूरों की हित के लिए कई तरह की घोषणाएं भी की गई लेकिन असल में इसे अमलीजामा नहीं पहनाया गया।
मजदूर को दिये जाते हैं केवल भाषण
कोयलांचल में कोयला मजदूर देश को तरक्की की राह पर आगे ले जाने में जी-तोड़ मेहनत करते हैं। धनबाद के कई क्षेत्रों में काम कर रहे मजदरों को यह नहीं मालूम की मजदूर दिवस आखिर क्यों मनाया जाता है। आज़ादी के बाद मजदूर उपेक्षित रहे हैं। उन्हें न तो सही दाम और न ही सही काम मिल पा रहा है। धनबाद के कुसुंडा क्षेत्र में काम कर रहे मजदूरों ने बताया कि उन्हें सरकार की तरफ से किसी भी तरह का कोई सुविधा नहीं मिल पा रही है। यहाँ तक की उन्हें उचित मजदूरी भी नसीब नहीं हो रही है। ऐसे में वे अपना और अपने परिवार का पालनपोषण कैसे करें।
मजदूर अपने भविष्य से चिंतित कहते हैं कि इसे समझ पाना आपके और हमारे बस के बाहर की बात है। सरकार की तरफ से असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के निबंधन की योजना है, लेकिन सही तरीके ये नहीं हो पा रहा है। मजदूरों के परिवार के लिए पढाई लिखाई, स्वास्थ्य सम्बंधित योजना है। सराकर की तरफ से ये घोषणा कई सालों से की जा रही है लेकिन अब तक यह धरातल पर नहीं उतर पाया है।
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